मंगलवार, 14 जुलाई 2009

वायदा बाज़ार से भला नहीं

मैंने लंबे समय तक agri commodities पर कुछ नहीं लिखा है। इस छोटे वायदा बाज़ार में सटोरिया नाम की दसवीं ग्रह इस तरह हावी है कि बिजाई डिमांड सप्लाई कोई महत्व नहीं रखती। अलबत्ता बड़े सटोरिओं के दिमाग में क्या चल रहा है इसी बॉडी लैंग्वेज को पढ़ना महत्वपूर्ण हो गया है। मैंने हल्दी, जीरा, तेल, गुआर आदि में बेसिक महत्व के अलावा ही ज्यादा तेजी मंदी आती देखी है । कुल मिलाकर निष्कर्ष निकलता है कि बड़े सटोरिओं के आए-बाएँ देखना ही ज्यादा उचित है।
और इसके अलावा सरकारी घोषणा प्रभावित करती रहती है। चैनलों के माध्यम से स्टाप लॉस आदि के जो अंक दिए जाते हैं उनसे किसी का भला हुआ हो ऐसा दिखाई तो नहीं पड़ता।

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