रविवार, 27 अक्तूबर 2013

सेबी की तरह वायदा बाजार के नियामक को स्वायत्ता तो आयोग को ताकत

पहरेदार सावधान की मुद्रा में है ! सजग भी है ! पर कलमी लाठी इजाजत लेकर ही चलायेगा !ऐसा ही कुछ् वायदा बाजार आयोग के साथ दिखता है ! पूर्ण स्वायता नही होने से अधिकतर कामों के लिए इजाजत ऊपर से लेनी होती है ! सरकार का रूख कोमोडिटी नियामक को मजबूत करने की मंशा रखने वाला नही लगता है! वरना क्या कारण है की फारवर्ड कांट्रेक्ट रेगुलेशन एक्ट 1952 का बदलाव करने वाला बिल साल 2006 से लाइन में खड़ा है ?और कई बार केबिनेट की मंजूरी के बाद भी लोकसभा में रखा नही जा रहा ? हर बार लोकसभा मीटिंग शुरू होने पर खबरें आती है की ये बिल अब आ रहा है पर नतीजा पहले कि तरह सिफर ही मिलता है ! सेबी की तरह वायदा बाजार के नियामक को स्वायत्ता देने वाला fcra बिल क्यों अटका पड़ा है ? कारण भी सामने नही आ रहे ! fcra बिल पारित नही होने से आयोग को फेसले लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ! fcra 1952 के तहत ही साल 2003 में वायदा कारोबार की अनुमति मिली और राष्ट्रिय स्तर के एक्सचेंज सामने आये !कारोबार शुरू होने के साथ समस्यायें भी शुरू हुई जिसके लिये कानून में बदलाव की जरूरत भी महशुस हुई ! आयोग के स्वायत नही होने से मंत्रालय से दिशा निर्देश लेने पड़ते है पहले यह उपभोगता मामलात मंत्रालय के अधीन था अब यह वित् मंत्रालय के अधीन है !                
                     यदि बिल शीतकालीन सत्र में पारित हो जाता है तो आयोग को ताकत मिल जायेगी जिससे नई जिंसो को वायदा में चालू करना , व्यापार को पारदर्शी बनाने जैसा बड़ा काम, कमोडिटी इंडेक्स पर वायदा व्यापार चालू करना ,संगठित व्यापार पर प्रभावी रोक ,इलीगल कारोबार में सीधे सीज या सर्च जेसी कार्यवाही , आफसन ट्रेडिंग चालू करने जैसे कई काम प्रगति में आ सकते है ! हालही में nsel में  एक बड़ा घपला सामने  आया जिसमे हजारों करोड़ का हेरफेर बताया गया है !कुछ गिरफ्तारियां भी हुई है ! nsel मामले में निगरानी की कमी देखी गई ! हालाँकि नेशनल स्टाक एक्सचेंज में हुआ 5650 करोड़ रूपये का घपला वायदा बाजार आयोग के दायरे में नही था ! किन्तु अब घपला होने के बाद आयोग का कार्य क्षेत्र बढ़ाने और स्वायत्ता देने की जरूरत तो महशुस हो ही रही है !   

शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

ग्वार और ग्वारगम क्रांति

एक लाख रूपये प्रति क्विंटल के भाव बना चुके ग्वारगम ने राजस्थान हरियाणा गुजरात में ग्वार और ग्वारगम क्रांति ला दी! इस भाव क्रांति ने ग्वार बिजाई क्षेत्र को डेढ़ गुणा तक बढ़ा दिया वंही ग्वार से गम बनाने वाली फेक्टरियो की लंम्बी कतार भी खड़ी कर दी! बिजाई के मामले में गुजरात ने दम दिखाते हुए साल 2012 -13 की सीजन में दो बार ग्वार की फसल हासिल कर ली यह ग्वार की उपज का नया रिकार्ड बना ! दोनों बार पच्चीस -पच्चीस लाख बोरी की फसल ने गुजरात के सारे रिकार्ड तोड़ दिए ! आंध्रप्रदेश,कर्नाटक जैसे राज्यों में ग्वार की पैदावार ने ताजुब्ब कर दिया भले ही पैदावार कम हुई पर आने वाले समय में पैदावार का संभावित क्षेत्र तो बन ही गया ! ग्वारगम फेक्ट्री लगाने वाले नामी कारीगर दयाराम हरजी बताते है अब ग्वार से गम बनाने की क्षमता इतनी बढ़ गई है की रोजाना दो लाख बोरी ग्वार की दलाई हो सकती है ! साल 2011 से पहले ग्वारगम बनाने वाली फेक्टरियो की संख्या 150  के लगभग थी! जिनकी क्षमता रोजाना नब्बे हजार बोरी ग्वार दलने की थी ! साल 2011 के बादइन दो सालो में इकाइयों की संख्या 300 की गिनती पार कर चुकी है ! अभी हरियाणा में नब्बे गुजरात में तीस तथा राजस्थान में लगभग एक सौ अस्सी ग्वारगम इकाइयां स्थापित हो चुकी है जिनमे सबसे ज्यादा 55 ग्वारगम  इकाइयां जोधपुर में है !  
वायदा बाजार में एग्री कोमोडिटी का सरताज ग्वार अब तक तेजी मंदी की सिमित स्थिरता नही बना सका है हर दिन उपर या निचे का सर्किट लगना जारी है ! कम कारोबार के बावजूद सर्किट लगना यह दर्शाता है की बाजार अभी ग्वार के भावों का स्तर नही ढूंढ़ पाया है ! पिछली लंम्बी तेजी ने भावो की असमझ को बनाये रखा है !नये सिरे से खुले वायदा में दस टन के लोट को  घटा कर एक टन का 
कर देने के बावजूद करोबार में रूची पैदा नही हुई है ! हाजिर में नये ग्वार का श्री गणेश उतरी राजस्थान में हो गया है !हरियाणा गुजरात और गंगानगर की मंडियों में 18000 बोरी ग्वार प्रति दिन आना शुरू हो गया है ! आवक के साथ भाव घटने लगे है 5500 से 6000 रूपये प्रति क्विंटल के दामो से बिक रहा है ! ग्वार की तेजी विदेशी मांग पर निर्भर रहेगी !विदेशी मांग का जोर अभी तक बना नही है ! फ़िलहाल बीस कंटेनर ग्वार गम का निर्यात रोजाना हो रहा है जो पर्याप्त नही है ! निर्यातको ने बातचीत में बताया की मांग पेंतीस प्रतिशत कम है और यह चिंता जनक है ! ग्वार से गम के आलावा 70 %पशु आहार के रूप में चुरी व कोरमा निकलता है चुरी 1600 रूपये प्रति क्विंटल और कोरमा 2500 रूपये प्रति क्विंटल के भावो से तेज बना हुआ है इन पशु आहारो ने ग्वार के भाव संभालने में काफी मदद की है ! पर जैसे जैसे मिलो में नये ग्वार की दलाई होगी पशु आहार के भाव भी उपलब्धता के कारण घटेंगे !

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

बाजार अभी ग्वार के भावों का स्तर नही ढूंढ़ पाया है

एक लाख रूपये प्रति क्विंटल के भाव बना चुके ग्वारगम ने राजस्थान हरियाणा गुजरात में ग्वार और ग्वारगम क्रांति ला दी ! इस भाव क्रांति ने ग्वार बिजाई क्षेत्र को डेढ़ गुणा तक बढ़ा दिया और ग्वार से गम बनाने वाली फेक्टरियो की लंम्बी कतार भी खड़ी कर दी ! बिजाई के मामले में गुजरात ने फसली दम दिखाते हुए साल 2012 -13 की सीजन में दो बार ग्वार की फसल हासिल कर उपज का नया रिकार्ड बना दिया ! दोनों बार पच्चीस -पच्चीस लाख बोरी की फसल ने गुजरात को मुख्य उत्पादक की श्रेणी में खड़ा कर दिया ! आंध्रप्रदेश,कर्नाटक जैसे राज्यों में भी ग्वार की पैदावार हो सकती है यह भी भाव क्रांति ने संभव कर दिखाया भले ही पैदावार कम हुई पर आने वाले समय में पैदावार का संभावित क्षेत्र तो बन ही गया ! ग्वारगम फेक्ट्री लगाने वाले नामी कारीगर दयाराम हरजी बताते है अब ग्वार से गम बनाने की क्षमता इतनी बढ़ गई है की रोजाना दो लाख बोरी ग्वार की दलाई हो सकती है ! साल 2011 तक ग्वारगम बनाने वाली फेक्टरियो की संख्या 150  के लगभग थी ! जिसकी क्षमता रोजाना नब्बे हजार बोरी ग्वार दलने की थी ! साल 2011 के बाद दो सालो में ग्वारगम का भविष्य उज्ज्वल देखते हुए धडाधड ग्वारगम इकाइयों की स्थापना होने लगी और ये संख्या 300 की गिनती पार गई ! अभी हरियाणा में नब्बे गुजरात में तीस तथा राजस्थान में लगभग एक सौ अस्सी ग्वारगम इकाइयां स्थापित हो चुकी है जिनमे सबसे ज्यादा 55 ग्वारगम  इकाइयां अकेले जोधपुर शहर में है !अब कमजोर विदेशी मांग और प्रतिस्प्रदा ने इन इकाइयों पर संकट खड़ा कर दिया है !  
वायदा बाजार में एग्री कोमोडिटी का सरताज ग्वार अब तक तेजी मंदी की सिमित स्थिरता नही बना सका है हर दिन उपर या निचे का सर्किट लगना जारी है ! कम कारोबार के बावजूद सर्किट लगना यह दर्शाता है की बाजार अभी ग्वार के भावों का स्तर नही ढूंढ़ पाया है ! गौर तलब है की ग्वार को कम भावों पर नही बेचने के विज्ञापन लंम्बे समय से एक उधोगपति देते आ रहे है अजूबा इस बात का है की लगभग हर सलाह के बाद ग्वार के भाव निचे की तरफ आये है ! पिछली लंम्बी तेजी ने भी भावो की असमझ को बनाये रखा है !नये सिरे से खुले वायदा में दस टन के लोट को  घटा कर एक टन का 
कर देने के बावजूद करोबार में खास रूची पैदा नही हुई है और वोलिय्म का पुराना मुकाम हासिल नही हुआ है ! हाजिर में नये ग्वार का श्री गणेश उतरी राजस्थान में हो गया है !हरियाणा गुजरात और गंगानगर की मंडियों में 18000 बोरी नया ग्वार प्रति दिन आना शुरू हो गया है ! आवक के साथ भाव घटने लगे है 5500 से 6000 रूपये प्रति क्विंटल के दामो से बिक रहा है ! ग्वार की तेजी विदेशी मांग पर निर्भर रहेगी !निर्यातको का मानना है विदेशी मांग का जोर अभी तक बना नही है ! फ़िलहाल बीस कंटेनर ग्वार गम का निर्यात रोजाना हो रहा है जो पर्याप्त नही है ! निर्यातको ने बातचीत में बताया की मांग पेंतीस प्रतिशत कम है और यह चिंता जनक है ! ग्वार से गम के आलावा 70 %पशु आहार के रूप में चुरी व कोरमा निकलता है चुरी 1600 रूपये प्रति क्विंटल और कोरमा 2500 रूपये प्रति क्विंटल के भावो से तेज बना हुआ है इन पशु आहारो ने ग्वार के भाव संभालने में काफी मदद की है ! पर जैसे जैसे मिलो में नये ग्वार की दलाई होगी पशु आहार के भाव भी उपलब्धता के कारण घटेंगे !