शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

चना सरसों में सटोरिया गति विधि सक्रिय

ग्वार आज भी कल की तरह ही चला और दिसंबर २५०० के आस पास ही घूमता रहा !मोसम साफ रहने और नहरी पानी की कमी से चना ,सरसों की बिजाई प्रभावित हुई है जिससे वायदा बाजार में दोनों जिंसों में तेजी का बोलबाला रहा !हाजिर बाजार में चना सरसों की उतनी मांग और तेजी नही है जितनी वायदा बाजार में निकली है !चना बीकानेर २४०० के भाव चल रहे है और मांग भी नही है इसकी एक वजह तो स्टोक लिमिट का कम होना है !सटोरियों की बात सुने तो उनका कहना है की किसी एग्रो कोमोडिटी में इस साल मंदी का व्यापर नही करना चाहिये!कारण पूछने पर बताते है ये बहुत बुरे अकाल का साल है !इस साल यदि आवश्यक वस्तुओं की निगरानी में सरकार ने ढील रखी तो महंगाई और जारी रहेगी !जिसका भरपूर फायदा बडे सटोरियों को मिलेगा !अनाज व्यापारी तो अकाल की वजह से वेसे ही परेशान है मंडियों में कमजोर आवक की आशंका के चलते कई रोजगारों पर इसका असर होगा !

गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

ग्वार में तेजी थोड़ा समय लेगी

ग्वार आज भी हलकी घट बढ के साथ खूब व्यापर कर रहा था !आमदनी आज चालीस हजार के आस पास थी !अभी भी लिवाल स्टॉकिस्ट ही है मीलों को पड़ता नही है !जिस तरह से ग्वार का स्टाक हो रहा है उससे लगता है आने वाले समय में ये थोडी तेजी मंदी के बाद तेज ही रहना चाहिए !गम की डिमांड निकलने पर ग्वार में बडा उछाला आ सकता है !ग्वार से बनने वाले उत्पाद कोरमा ,चुरी की मांग बराबर बनी हुई है साथ ही साइड बाजार तेज रहने से भी तेजी की मनोव्रती बन रही है !ग्वार के फसल से ज्यादा रोजाना व्यापर ने जहाँ अक्स्चेंजो को निहाल किया है वंही इसका व्यापर करने वालों और जानकारों को उहा फोह की हालत में डाल रखा है !

शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009

ग्वार मीलों को पड़ता नही

ग्वार लगातार तेज हो रहा है आज २५०० के भाव पार कर गया !आवक सभी जगह मिला कर बीस हजार बोरी के आस -पास चल रही है !हरियाणा और नहरी मंडियों में तो भाव जोधपुर से भी उपर बिक रहा है !मिल वालों को ग्वार नही मिल पा रहा है दूसरा मिल वालों को ऊँचा पड़ रहा है क्योंकि गम में अभी उपर भाव पर बिक्री नही है !जिस तरह से अभी व्यापारी स्टॉकिस्ट ले रहे है उससे लगता है की लम्बे समय तक मिल वालों को पुसायेगा नही और तेजी स्टाकिस्टों बनाये रखेगे !ग्वार की मिलिंग नही होने से इसके उत्पाद चुरी -कोरमा की मांग बनी हुई है और भाव भी काफी तेज है !साइड बाजार जेसे सरसों ,चना ,सोयातेल आदि भी तेज होने से इसमे तेजी का रुझान बना हुआ है !आने वाले दिनों में हल्दी की तरह उठा पटक हो सकती है !

सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

छोटी फसलों का बडा वायदा व्यापर ?सोचना होगा

ग्वार चना दोनों में आज थोडी घट-बढ के साथ बाजार चला कोई खास बात नजर नही आई पर वोलियम के लिहाज से देखें तो ग्वार में जितनी फसल होगी उतना ही वोलियम था !मेने पहले लिमिट के बारे में लिखा था आज वापस उस बात को दोहरा रहा हूँ !मेरी कई ग्वारगम की मिल वालों से बात हुई उनका कहना था इस बार मिल चलाना काफी मुश्किल होगा २२५० के भावों पर ग्वार ले तो गम किसे बेचेंगे गम तो ४८५० के उपर बिकता नही और इन भावों पे गम ५००० से निचा पड़ता नही !फसल का अनुमान जो लोगों से मिल रहा है वो ३ लाख टन के आस पास ही आ रहा है !आज जरूरत है वायदा व्यापर पर पुनर्विचार की कभी किसी जींस की फसल कम हो जाए या इस बार की तरह अकाल की मुसीबत आजाये तो हम इन बातों की और कब ध्यान देंगे या फ़िर चीनी की तरह सोर्टेज का हल्ला कर सभी जिंसों के भावों को चढ़ने देंगे !लोग तर्क देते है की कई दालों का वायदा व्यापर नही है फ़िर उन जिंसों में तेजी क्यों ?मेरा ये मानना है की यदि दालों का वायदा कारोबार होता तो आज जिस भाव पे मिल रही है वो भी नसीब नही होती !किसीभी छोटी फसल का बडा कारोबार घातक हो सकता है ये हम छोटे शहरों में रहने वाले लोगों का सोच है FMC को पुरे अधिकार मिले जिससे वो ढंग से इस बाजार को चला सके !

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

वायदा में लिमिट पर विचार क्यों नही

वायदा बाजार में एग्रो कोमोडिटी जिस तरह से चल रही है और हर मिनिट जिस तरह से तेजी मंदी बन रही है उससे लग रहा है कई सुधारों की जरूरत है !मसलन वायदा सोदे की लिमिट ?आज चने का उत्पादन पचास लाख टन और सोयाबीन का नबे लाख टन इन जींस की जितनी लिमिट वायदा में है उतनी ही लिमिट ग्वार में है जबकि ग्वार का ओसत उत्पादन सात लाख टन ही है और इसी तरह अन्य जिंसों में भी उत्पादन का बहुत फर्क है और लिमिट में कोई खास अंतर नही है !मेरा विचार है की आवश्यक वस्तुओं की जो सूचि है उनकी वायदों से लिमिट कम कर देनी चाहिए !जब सेंट्रल गोवर्मेंट स्पॉट में लिमिट लगाने के लिए राज्य सरकरों को कह रही है तो वायदा में छुट क्यों ?और जहाँ तक अन्य जिंसों में लिमिट की बात है उस पर सरकार को विचार आमंत्रित करने चाहिए !कोई आम आदमी केसे मान लेगा की हर मिनिट ऐसा क्या होता है की बाजार उपर निचे हो जाए !किसान को तो पले ही नही पड़ता है की आधा घंटा पहले साथ वाले किसान से मेरा मॉल निचा या ऊँचा क्यों बिका !