tag:blogger.com,1999:blog-75873002498430479292024-03-14T13:20:00.317+05:30PUKHRAJ CHOPRA पुखराज चोपड़ावायदा बाजार के बारे में सबकुछP.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.comBlogger70125tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-31185121522096279492018-09-27T08:36:00.000+05:302018-09-27T08:36:49.388+05:30बाजार के फंडामेंटल ,टेक्निकल ओर वर्तमान <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
शेयर बाजार के फंडामेंटल कभी मजबूत नही दिखे मगर डेढ़ गुणा बढ़ गए । मजबूत होने के बाद ही नए नए कारण निकलते है पूरे देश का अधिकतम इन्वेस्टमेंट उधर चला गया ।<br />
कोमोडिटी मार्केट में भी लिक्विडिटी की कमी का कारण भी इसे ही माना जाता रहा ।<br />
अब भी कुछ कोमोडिटी मजबूत फंडामेंटल के बावजूद कमजोर है(खास तौर पर केस्टर ग्वार चना) तो इसके कारण भी बाद में ही निकलेंगे ।<br />
भारत की मजबूत अर्थ व्यवस्था के बावजूद रुपया गिरा अब 100 की बाते आने लगी है इसी तरह ऊर्जा क्षेत्र में क्रूड के बहुत सारे विकल्प आने के बाद तेज हुआ । यह सब बातें फडमेटल सोच के विपरीत चल रही है ।<br />
में फसल कम बता रहा हूँ यह सत्य है । वायदा मन्दा दिख रहा है यह शास्वत सत्य है ।<br />
सभी जिंसों के टेक्निकल कारण ओर टारगेट हर घण्टे tv पर देखतें है लग गया तो ठीक वरना sl तो है ही ।<br />
बस यह सब चलता रहेगा इसलिए जेब देख धंधा करना ठीक फॉलो अपनी मन पसन्द चीज को करो ।<br />
एस्ट्रो,टेक्नी,फंडा, टेक्नॉफंडा या शगुन ।<br />
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻</div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-83745490997616936782018-09-17T19:20:00.001+05:302018-09-18T08:35:12.401+05:30ग्वार की फसल पर अकाल की मार <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
राजस्थान पहले दौर की अच्छी बरसात से ग्वार की बिजाई भी अच्छी हुई हालांकी सरकार द्वारा तय पूरा टारगेट नही हो पाया । अच्छी बरसातों के बाद 18 अगस्त से आज 17 सिपटम्बर तक बरसात नही होने से बारानी ग्वार तो बर्बादी की भेंट चढ़ गया वन्ही नहरी भी कम पानी मिलने से खराब हुआ है । खेतों को देखने के बाद अब तय शुदा है फसल पिछले साल से कम आएगी । पिछले साल भी आखरी की बरसात नही होने से बारानी ग्वार चौपट हो गया था मगर नहरी ग्वार की अच्छी पैदावार हुई । इस बार दोनो में टोटा है और कम फसल के साथ भाव भी गिरने लगे है । कुछ समय पहले वायदा में 4650 बिकने वाला ग्वार आज 4180 पर ही कारोबार कर रहा था । </div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-73928273209668033232018-08-08T07:52:00.000+05:302018-08-08T07:52:43.724+05:30सट्टा माइंड सेट गेम<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सट्टे की दुनिया मे हमेशा माइंड सेट गेम चलता रहता है माइंड सेट करो और अर्थ कमाओ ।<br />
इनके इस साल के भी कई उदाहरण सामने है । कोकु खली 1200 पर तीन फिगर की हवा बनी और भाव 1800 । जीरा 16000 पर 19000 की हवा बनी और भाव 14000 हो गए थे । चना 5200 पर 6000 की हवा बनी और भाव 3400 हो गए थे । केस्टर 4300 पर 4800 की हवा और भाव 3900 हो गए ।<br />
आगे लिखने की जरूरत ही नही की तेल, सोया, सरसों,गम ,धनिया की जो हवाये चली बाज़ार उसके खिलाफ चला ।<br />
हवाये बनाना माइंड सेट गेम है और उसमें फसकर शिकार होना शिकारी की सफलता है ।<br />
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सजगता के लिए 🙏🏻</div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-67315868938321462162018-07-08T10:12:00.003+05:302018-07-08T10:12:51.023+05:30Msp का सच <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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न्यूनतम समर्थन मूल्य (msp) की घोषित दरें डेढ़ गुना तो नहीं, फिर भी बड़ी राहत : चौपङा<br />
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समर्थन मूल्य (map) घोषित कर ही दिए। सरकार का कहना है यह लागत मूल्य का डेढ़ गुना है, मगर विशेषज्ञों का मानना है कि घोषित समर्थन मूल्य लागत के डेढ़ गुना से कम हैं, लागत का कितना प्रतिशत ज्यादा है विशेषज्ञ उसके आकलन में लगे हैं।<br />
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समर्थन मूल्य के तय करने की प्रक्रिया से वास्ता रखने वाले बीकानेर के पुखराज चौपड़ा का मानना है कि सरकार ने कुछ राहत जरूर दी, मगर राहत का असल रूप तब दिखेगा जब सरकार इन भावों पर फसलें खरीद करेगी।<br />
सरकारी खरीद के बावजूद चना, उड़द तुअर, मूंगफली, सरसों जैसी फसलें समर्थन मूल्यों से काफी नीचे भावों पर बाजार में बिकींं।<br />
चौपड़ा का यह कहना है कि पिछले दो वर्षों से हम कहते आये हैं कि किसान की फसलोंं के समर्थन मूल्य जमीन के किराया, किसान की मजदूरीऔर पट्टे का किराया आदि जोड़कर घोषित की जाए। किसानों को इस राहत की जरूरत पर कई डिबेटों–मसलन दूरदर्शन व बिजनस चैनल्स के अलावा प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया में लगातार लिखते-बोलते रहे है। किसान चैनल के वाद-संवाद कार्यक्रम में न्यूनतम समर्थन मूल्य का सच पर हुई एक घंटे की सार्थक बहस के बाद सरकार इस मसले पर कुछ गम्भीर नजर आई।<br />
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इस विषय पर केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल, गजेंद्रसिंह शेखावत, अश्विनी चौबे ,योजना आयोग के डॉ. रमेश चाँद, महाराष्ट्र सीएसीपी के पासा पटेल सहित कई लोगो से बातचीत हुई। चौपड़ा को तसल्ली है कि इस बार कुछ तो ठीक निर्णय हुआ, क्रियान्वयन भी शत-प्रतिशत हो जाए तो किसानों को ठीकठाक राहत मिल जाएगी।</div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-19735133145456135832018-07-08T09:42:00.001+05:302018-07-08T09:42:16.850+05:30एग्री जिंसों घटता वोलियम चिंता का विषय <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कृषि जिंसों का वायदा वोलियम लगातार गिरा है साथ ही हाजिर बाजार की गतिविधियां भी कमजोर हुई है । नोटबन्दी के बाद सारा रुझान ओर निवेश शेयर मार्केट की तरफ गया जो हाजिर वायदा दोनो को कमजोर कर गया । अब मानसूनी समय मे बढ़ोतरी की एक उम्मीद है इसमें भी यदि वोलियम गति नही आई तो निराशा के बादल छा जाएंगे ।<br />
सरकार को msp भाव नियंत्रण के लिये वायदा बाजार में प्रवेश करना चाहिए । जिससे कृषि फसलों का वायदा ओर हाजिर बाजार दोनो गति पा सके । सरकार के कदमो से ही विश्वास जमेगा ऐसी मेरी धारणा है ।</div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-85447021667892663222014-12-26T18:03:00.002+05:302014-12-26T18:03:23.254+05:30कृषि वायदा हर जिंस में असामान्य तेजी मंदी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कृषि वायदा की लगभग हर जिंस में असामान्य तेजी मंदी आरही है ! हर तरफ परेशानी का आलम है पत्ता नही क्यों एक्सचेंजों को फ़िक्र नही है ? या फिर जान बूझकर आँख बंद कर रखी है ? या सिर्फ बड़े लोगों को स्पोर्ट करने का ही सोच रखा है ? अगर ऐसा नही है तो क्यों सभी मसालों के भाव बढ़ाये जा रहे है ? क्यों चना ,तेल ,अरंडा आदि के भाव रोजाना तेज किये जा रहे है ? लगता है जैसे सब कुछ निरंकुश हो गया है ! मोदी सरकार का खौफ इतने दिन ही था क्या ? हाजिर से पूरा ताल मेल खत्म ! उदाहरण के लिए हाजिर अरंडा<span style="font-size: large;"> 4500</span> रूपये और 25 दिन बाद का अरंडा <span style="font-size: large;">5300 </span>रूपये ! लगता नही की कंहा घालमेल हो रहा है और करोड़ो के वारे न्यारे ? </div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-87035737753901082442014-12-22T17:53:00.000+05:302014-12-22T17:53:36.840+05:30पिंच कर पानी निकाल दिया अरंडा और धनिया में<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
अरंडा और धनिया में वायदा बाजार आयोग ने अतिरिक्त मार्जिन लगा दिया है ! मार्जिन लगने का असर उल्टा हुआ दोनों बाजार मंदे होने के बजाय तेज बंद हुए ! यह है ताकत का प्रदर्शन ! लगता है बिकवाल खुदरा लोग है और लिवाल बूल ! अरंडा तो वायदा से हाजिर बाजार में 550 रूपये क्विंटल निचा बिक रहा है पर सट्टे की ताकत अलग है - यह नकारखाना है- इसमें तूती की आवाज कंहा सुनाई देगी ? राजस्थानी में कहावत है "पिंच कर पानी निकाल दिया "कहावत के अनुसार ही खुदरा कारोबारियों का यही हाल मलाल है ! धरातल पर आकर कारोबारी की टोह ले तो हकीकत सामने आजायेगी !अब मुर्गी हलाल होने को है फिर अंडा कौन देगा ! एक गजल का शेर याद आता है -ख्वाब देखे थे सुहाने क्या क्या , लूट गए अपने खजाने क्या क्या ! </div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-24284934534138419962014-12-16T18:45:00.002+05:302014-12-16T18:46:01.138+05:30ग्वार की शादी क्रूड के साथ हो गई है<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ग्वार की शादी क्रूड के साथ हो गई है !ग्वार मे आई मंदी को क्रूड की मंदी के साथ जोड़ा जा रहा है ! ग्वार लगातार घटता जा रहा है लगातार मंदी से ग्वार के प्रति व्यापार का रुझान घटा है !आवक पिछले महीने 1 लाख बोरी से ऊपर चल रही थी जो अब घटकर 50 हजार बोरी के लगभग रह गई है ! घटते भावों से विदेशी ग्राहक भी लिवाली में कमजोरी दिखा रहे है ! स्टाकिस्ट लिक्विडिटी में कमजोरी बता रहे है !कूल मिलाकर सभी चीजो की मंदी के साथ ग्वार भी मंदी की चपेट में है (मसालों को छोड़कर ) !<b>नमो सरकार</b> निहाल है खाद्य वस्तुओं की मंहगाई दर लगातार गिर रही है ! अब किसान को खेती में 50 फीसदी मुनाफा कैसे पहुंचाएंगे ?चना, मूंगफली तो समर्थन मूल्यों से निचे बिक रहे है रहा - सहा ग्वार भी खाल खिंचेगा ! आओ अब तो मंहगाई मंहगाई चिलाना छोड़े !</div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-59471174997335233482014-12-15T17:20:00.002+05:302014-12-15T17:20:47.898+05:30अरंडा वायदा में उठा पटक<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
अरंडा वायदा में उठा पटक खूब हो रही है ! कारोबार के लिहाज से वायदा में कृषि जिंसों का सिरमौर अरंडा ही बना हुआ है ! धनिया वाली समस्या अरंडा में सामने आरही है !राजस्थान में भरपूर अरंडा का स्टॉक है और हाजिर बाजार में भाव भी वायदा से 500 रूपये क्विंटल निचे ! जिन लोगों ने हाजिर अरंडा लेकर वायदा में बेचा था उनकी हालत खराब क्योंकि ये माल डीमेट नही हो रहा जिससे हाजिर निचे और वायदा उपर ! ऐसे में न निगलते बन रहा न उगलते बन रहा !कई व्यापारियों के फोन आये की समस्या का निस्तारण कैसे किया जाये ? अब शिकायत करने अलावा कुछ बचा नही है आजकल वायदा में हाजिर बाजार से भावों का संपर्क टुटा हुआ है जिससे व्यापार तहस -नहस हो रहा है जिससे पूछो वही नुक्सान की बात करता है तो फिर मुनाफा कंहा जा रहा है ? जबाब सिर्फ एक्सचेंज ही दे सकता है !</div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-9073788095374680962014-12-13T12:45:00.001+05:302014-12-13T12:45:38.128+05:30 धनिया वायदा और हाजिर के भावों में धांधली की शिकायत <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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धनिया कारोबार की लगातार शिकायतें वायदा बाजार आयोग और एक्सचेंज से की जा रही है ! वायदा में भाव 13000 क्विंटल के आस पास चल रहे है वंही हाजिर बाजार में धनिया 10500 प्रति क्विंटल के लगभग है ! वायदा में भावों का बढ़ना किसी संगठित व्यापार की और इशारा कर रहा है जिससे हाजिर कारोबारी परेशान है हाजिर कारोबारियों का कहना है हमारा धनिया एक्सचेंज के वेयरहाउसों में नही लिया जा रहा है और इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है की उत्तम श्रेणी का धनिया उत्पादित ही नही हुआ है फिर आपका माल कैसे लें और यही वायदा -हाजिर भावों में फर्क का कारण है ! अगर वास्तविक रूप से यही कारण है तो बिना माल के वायदा सौदा क्यों चलाया जा रहा है ? बिना उत्पादनं के सौदे से कंही इसके भाव 1 लाख रूपये प्रति क्विंटल भी करदे तो इसे रोकने वाला कौन होगा ? क्या ग्वार और अन्य कई वस्तुओं में गड़बड़ी के बाद सौदा बंद करने जैसी नौबत आगई थी और सौदे बंद कर भी दिए थे उसी तरह क्या सांप मरने के बाद लकीर पिटी जाएगी ? हालात काबू से बाहर हो उससे पहले निर्णय लेना होगा ! इस विषय पर अखिल भारतीय वायदा व्यापार संघ के साथ में खुद भी आयोग के चेयरमेन रमेश अभिषेक से मिला था चेयरमेन का रूख अच्छा था, पूरी बात सुनी,शीघ्र जाँच का भरोशा दिलाया ! कुछ जांच परख भी होने के संकेत मिले है ! उम्मीद है धनिया कारोबार को वायदा में उजड़ने से रोक लेंगे ! </div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-89783326205207169952013-12-05T18:47:00.000+05:302013-12-05T18:47:07.334+05:30वायदा बाजार का हीरो बेनूर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ग्वार के पिछले तेज भावों ने किसानो व्यापारियों दोनों को परेशान कर रखा है ! स्टाक और फसल का ग्वार न निगलते बनता है न उगलते बनता है इसी उधेड़बुन में भाव घटते घटते 4500 रूपये किवंटल तक आ गये है !पहले उम्मीद थी की वायदा में शामिल होते ही ग्वार तेज हो जायेगा मगर वायदा में आने के बाद तो नीचे कि तरफ ही सरक रहा है ! ताजुब इस बात का भी है कि वायदा में भी कारोबार बहुत कमजोर है !अभी तक कोई ऐसी बात नजर नही आती की भाव बढ़ जाये ! वायदा बाजार का हीरो बेनूर सा होगया है !फिर भी ग्वार कि ठसक तो देखिये 6 दिसंबर को जयपुर में पांच सितारा सेमिनार हो रही है जिसकी एंट्री फीस दस हजार रूपये रखी गई है !<div>
वायदा बाजार की कृर्षि जिंसो में आज कल तेल और अरंडा हीरो बना हुआ है ! अभी सटोरियों की इन पर नजरें इनायत है ! रोजाना की बड़ी तेजी मंदी बेवजह आये जा रही है !नई फसलें भी आने वाली है !देखते है आगे आगे होता है क्या !</div>
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P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-75171701365201440652013-10-27T17:43:00.001+05:302013-10-27T17:43:32.209+05:30 सेबी की तरह वायदा बाजार के नियामक को स्वायत्ता तो आयोग को ताकत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 14px;">
पहरेदार सावधान की मुद्रा में है ! सजग भी है ! पर कलमी लाठी इजाजत लेकर ही चलायेगा !ऐसा ही कुछ् वायदा बाजार आयोग के साथ दिखता है ! पूर्ण स्वायता नही होने से अधिकतर कामों के लिए इजाजत ऊपर से लेनी होती है ! सरकार का रूख कोमोडिटी नियामक को मजबूत करने की मंशा रखने वाला नही लगता है! वरना क्या कारण है की फारवर्ड कांट्रेक्ट रेगुलेशन एक्ट 1952 का बदलाव करने वाला बिल साल 2006 से लाइन में खड़ा है ?और कई बार केबिनेट की मंजूरी के बाद भी लोकसभा में रखा नही जा रहा ? हर बार लोकसभा मीटिंग शुरू होने पर खबरें आती है की ये बिल अब आ रहा है पर नतीजा पहले कि तरह सिफर ही मिलता है ! सेबी की तरह वायदा बाजार के नियामक को स्वायत्ता देने वाला fcra बिल क्यों अटका पड़ा है ? कारण भी सामने नही आ रहे ! fcra बिल पारित नही होने से आयोग को फेसले लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ! fcra 1952 के तहत ही साल 2003 में वायदा कारोबार की अनुमति मिली और राष्ट्रिय स्तर के एक्सचेंज सामने आये !कारोबार शुरू होने के साथ समस्यायें भी शुरू हुई जिसके लिये कानून में बदलाव की जरूरत भी महशुस हुई ! आयोग के स्वायत नही होने से मंत्रालय से दिशा निर्देश लेने पड़ते है पहले यह उपभोगता मामलात मंत्रालय के अधीन था अब यह वित् मंत्रालय के अधीन है ! </div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 14px;">
यदि बिल शीतकालीन सत्र में पारित हो जाता है तो आयोग को ताकत मिल जायेगी जिससे नई जिंसो को वायदा में चालू करना , व्यापार को पारदर्शी बनाने जैसा बड़ा काम, कमोडिटी इंडेक्स पर वायदा व्यापार चालू करना ,संगठित व्यापार पर प्रभावी रोक ,इलीगल कारोबार में सीधे सीज या सर्च जेसी कार्यवाही , आफसन ट्रेडिंग चालू करने जैसे कई काम प्रगति में आ सकते है ! हालही में nsel में एक बड़ा घपला सामने आया जिसमे हजारों करोड़ का हेरफेर बताया गया है !कुछ गिरफ्तारियां भी हुई है ! nsel मामले में निगरानी की कमी देखी गई ! हालाँकि नेशनल स्टाक एक्सचेंज में हुआ 5650 करोड़ रूपये का घपला वायदा बाजार आयोग के दायरे में नही था ! किन्तु अब घपला होने के बाद आयोग का कार्य क्षेत्र बढ़ाने और स्वायत्ता देने की जरूरत तो महशुस हो ही रही है ! </div>
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P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-27054394911887821722013-10-18T18:28:00.001+05:302013-10-18T18:28:20.721+05:30 ग्वार और ग्वारगम क्रांति <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 14.399999618530273px;">एक लाख रूपये प्रति क्विंटल के भाव बना चुके ग्वारगम ने राजस्थान हरियाणा गुजरात में ग्वार और ग्वारगम क्रांति ला दी! इस भाव क्रांति ने ग्वार बिजाई क्षेत्र को डेढ़ गुणा तक बढ़ा दिया वंही ग्वार से गम बनाने वाली फेक्टरियो की लंम्बी कतार भी खड़ी कर दी! बिजाई के मामले में गुजरात ने दम दिखाते हुए साल 2012 -13 की सीजन में दो बार ग्वार की फसल हासिल कर ली यह ग्वार की उपज का नया रिकार्ड बना ! दोनों बार पच्चीस -पच्चीस लाख बोरी की फसल ने गुजरात के सारे रिकार्ड तोड़ दिए ! आंध्रप्रदेश,कर्नाटक जैसे राज्यों में ग्वार की पैदावार ने ताजुब्ब कर दिया भले ही पैदावार कम हुई पर आने वाले समय में पैदावार का संभावित क्षेत्र तो बन ही गया ! ग्वारगम फेक्ट्री लगाने वाले नामी कारीगर दयाराम हरजी बताते है अब ग्वार से गम बनाने की क्षमता इतनी बढ़ गई है की रोजाना दो लाख बोरी ग्वार की दलाई हो सकती है ! साल 2011 से पहले ग्वारगम बनाने वाली फेक्टरियो की संख्या 150 के लगभग थी! जिनकी क्षमता रोजाना नब्बे हजार बोरी ग्वार दलने की थी ! साल 2011 के बादइन दो सालो में इकाइयों की संख्या 300 की गिनती पार कर चुकी है ! अभी हरियाणा में नब्बे गुजरात में तीस तथा राजस्थान में लगभग एक सौ अस्सी ग्वारगम इकाइयां स्थापित हो चुकी है जिनमे सबसे ज्यादा 55 ग्वारगम इकाइयां जोधपुर में है ! </span><br />
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 14.399999618530273px;">
वायदा बाजार में एग्री कोमोडिटी का सरताज ग्वार अब तक तेजी मंदी की सिमित स्थिरता नही बना सका है हर दिन उपर या निचे का सर्किट लगना जारी है ! कम कारोबार के बावजूद सर्किट लगना यह दर्शाता है की बाजार अभी ग्वार के भावों का स्तर नही ढूंढ़ पाया है ! पिछली लंम्बी तेजी ने भावो की असमझ को बनाये रखा है !नये सिरे से खुले वायदा में दस टन के लोट को घटा कर एक टन का <br clear="all" /><div>
कर देने के बावजूद करोबार में रूची पैदा नही हुई है ! हाजिर में नये ग्वार का श्री गणेश उतरी राजस्थान में हो गया है !हरियाणा गुजरात और गंगानगर की मंडियों में 18000 बोरी ग्वार प्रति दिन आना शुरू हो गया है ! आवक के साथ भाव घटने लगे है 5500 से 6000 रूपये प्रति क्विंटल के दामो से बिक रहा है ! ग्वार की तेजी विदेशी मांग पर निर्भर रहेगी !विदेशी मांग का जोर अभी तक बना नही है ! फ़िलहाल बीस कंटेनर ग्वार गम का निर्यात रोजाना हो रहा है जो पर्याप्त नही है ! निर्यातको ने बातचीत में बताया की मांग पेंतीस प्रतिशत कम है और यह चिंता जनक है ! ग्वार से गम के आलावा 70 %पशु आहार के रूप में चुरी व कोरमा निकलता है चुरी 1600 रूपये प्रति क्विंटल और कोरमा 2500 रूपये प्रति क्विंटल के भावो से तेज बना हुआ है इन पशु आहारो ने ग्वार के भाव संभालने में काफी मदद की है ! पर जैसे जैसे मिलो में नये ग्वार की दलाई होगी पशु आहार के भाव भी उपलब्धता के कारण घटेंगे !</div>
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P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-67731782566554295962013-10-10T18:27:00.002+05:302013-10-10T18:27:45.969+05:30 बाजार अभी ग्वार के भावों का स्तर नही ढूंढ़ पाया है<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 14px;">एक लाख रूपये प्रति क्विंटल के भाव बना चुके ग्वारगम ने राजस्थान हरियाणा गुजरात में ग्वार और ग्वारगम क्रांति ला दी ! इस भाव क्रांति ने ग्वार बिजाई क्षेत्र को डेढ़ गुणा तक बढ़ा दिया और ग्वार से गम बनाने वाली फेक्टरियो की लंम्बी कतार भी खड़ी कर दी ! बिजाई के मामले में गुजरात ने फसली दम दिखाते हुए साल 2012 -13 की सीजन में दो बार ग्वार की फसल हासिल कर उपज का नया रिकार्ड बना दिया ! दोनों बार पच्चीस -पच्चीस लाख बोरी की फसल ने गुजरात को मुख्य उत्पादक की श्रेणी में खड़ा कर दिया ! आंध्रप्रदेश,कर्नाटक जैसे राज्यों में भी ग्वार की पैदावार हो सकती है यह भी भाव क्रांति ने संभव कर दिखाया भले ही पैदावार कम हुई पर आने वाले समय में पैदावार का संभावित क्षेत्र तो बन ही गया ! ग्वारगम फेक्ट्री लगाने वाले नामी कारीगर दयाराम हरजी बताते है अब ग्वार से गम बनाने की क्षमता इतनी बढ़ गई है की रोजाना दो लाख बोरी ग्वार की दलाई हो सकती है ! साल 2011 तक ग्वारगम बनाने वाली फेक्टरियो की संख्या 150 के लगभग थी ! जिसकी क्षमता रोजाना नब्बे हजार बोरी ग्वार दलने की थी ! साल 2011 के बाद दो सालो में ग्वारगम का भविष्य उज्ज्वल देखते हुए धडाधड ग्वारगम इकाइयों की स्थापना होने लगी और ये संख्या 300 की गिनती पार गई ! अभी हरियाणा में नब्बे गुजरात में तीस तथा राजस्थान में लगभग एक सौ अस्सी ग्वारगम इकाइयां स्थापित हो चुकी है जिनमे सबसे ज्यादा 55 ग्वारगम इकाइयां अकेले जोधपुर शहर में है !अब कमजोर विदेशी मांग और प्रतिस्प्रदा ने इन इकाइयों पर संकट खड़ा कर दिया है ! </span><br />
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif;">
<span style="font-size: 14px;">वायदा बाजार में एग्री कोमोडिटी का सरताज ग्वार अब तक तेजी मंदी की सिमित स्थिरता नही बना सका है हर दिन उपर या निचे का सर्किट लगना जारी है ! कम कारोबार के बावजूद सर्किट लगना यह दर्शाता है की</span><b><span style="font-size: x-small;"> बाजार अभी ग्वार के भावों का स्तर नही ढूंढ़ पाया है</span></b><span style="font-size: 14px;"> ! गौर तलब है की ग्वार को कम भावों पर नही बेचने के विज्ञापन लंम्बे समय से एक उधोगपति देते आ रहे है अजूबा इस बात का है की लगभग हर सलाह के बाद ग्वार के भाव निचे की तरफ आये है ! पिछली लंम्बी तेजी ने भी भावो की असमझ को बनाये रखा है !नये सिरे से खुले वायदा में दस टन के लोट को घटा कर एक टन का </span><br clear="all" /><div style="font-size: 14px;">
कर देने के बावजूद करोबार में खास रूची पैदा नही हुई है और वोलिय्म का पुराना मुकाम हासिल नही हुआ है ! हाजिर में नये ग्वार का श्री गणेश उतरी राजस्थान में हो गया है !हरियाणा गुजरात और गंगानगर की मंडियों में 18000 बोरी नया ग्वार प्रति दिन आना शुरू हो गया है ! आवक के साथ भाव घटने लगे है 5500 से 6000 रूपये प्रति क्विंटल के दामो से बिक रहा है ! ग्वार की तेजी विदेशी मांग पर निर्भर रहेगी !निर्यातको का मानना है विदेशी मांग का जोर अभी तक बना नही है ! फ़िलहाल बीस कंटेनर ग्वार गम का निर्यात रोजाना हो रहा है जो पर्याप्त नही है ! निर्यातको ने बातचीत में बताया की मांग पेंतीस प्रतिशत कम है और यह चिंता जनक है ! ग्वार से गम के आलावा 70 %पशु आहार के रूप में चुरी व कोरमा निकलता है चुरी 1600 रूपये प्रति क्विंटल और कोरमा 2500 रूपये प्रति क्विंटल के भावो से तेज बना हुआ है इन पशु आहारो ने ग्वार के भाव संभालने में काफी मदद की है ! पर जैसे जैसे मिलो में नये ग्वार की दलाई होगी पशु आहार के भाव भी उपलब्धता के कारण घटेंगे !</div>
<div class="im" style="color: #500050; font-size: 14px;">
</div>
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<div class="yj6qo ajU" style="background-color: white; color: #222222; cursor: pointer; font-family: arial, sans-serif; font-size: 14px; outline: none; padding: 10px 0px; width: 22px;">
<div aria-label="सुव्यवस्थित सामग्री दिखाएं" class="ajR" data-tooltip="सुव्यवस्थित सामग्री दिखाएं" id=":23v" role="button" style="background-color: #f1f1f1; border: 1px solid rgb(221, 221, 221); clear: both; line-height: 6px; outline: none; position: relative; width: 20px;" tabindex="0">
<img class="ajT" src="https://mail.google.com/mail/u/0/images/cleardot.gif" style="background-image: url(https://ssl.gstatic.com/ui/v1/icons/mail/ellipsis.png); background-position: initial initial; background-repeat: no-repeat no-repeat; height: 8px; opacity: 0.3; width: 20px;" /></div>
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P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-79655244558736852802013-09-29T15:02:00.000+05:302013-09-29T15:02:39.519+05:30वायदा में शब्दों का भ्रम जाल <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<b>लग सकती है 100 करोड़ की पेनल्टी </b></div>
वायदा बाजार में ग्वार अपने ढरे के साथ नित्य उपर या निचे के भावों का सर्किट लगा ही रहा है ! घाटे मुनाफे की बड़ी हारजीत ने आम व्यापारी का मोह भंग कर दिया है ! वायदा में कृषि जिंसो का सरताज ग्वार उपेक्षित होने लग गया है ! कृषि जिंस बाजार को वायदा में आकर्षित करने वाला ग्वार ही था जिसके दम पर अन्य जिंसो को भी वायदा में स्थान मिला ! पिछले दो सालों से चल रहे भारी उथल पुथल ने एक बार ग्वार को वायदा से बाहर का रास्ता दिखा दिया ! अब फिर वायदा में शामिल हुए ग्वार के प्रति fmc सचेत है ! इसीका नतीजा था की ग्वार वायदा की लगातार जाँच हुई और कई व्यापारियों को वायदा से निलम्बित करने के साथ भारी जुर्माना लगाया गया था ! खबरों के अनुसार एक बार फिर जाँच के घेरे में आये पुराने दोषियों के खिलाफ 100 करोड़ रूपये की जुर्माना राशी लगने वाली है !<br />
<div>
राजस्थान में चल रही बारिश से ग्वार को नया जीवन दान मिल गया है ! प्यासी फसलों में काफी सुधार हुआ है ! व्यापारिक आंकलनो के अनुसार देश में 25 लाख टन ग्वार पैदावार का अनुमान है ! तेजी मंदी के लिहाज से सारा दारोमदार विदेशी मांग पर निर्भर रहेगा ! हाल में चल रही बारिश से चना ,सरसों की बिजाई के लिए उपयुक्त वातावरण तेयार हो गया है उमीद्द की जा सकती है की दोनों फसलो की सांगोपांग बुवाई होगी !</div>
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<b>वायदा में शब्दों का भ्रम जाल </b></div>
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सरकार की जैसे ही चेतना जागृत हुई सट्टे को वैधानिक बनाया इसका नाम सट्टे से बदलकर वायदा,फारवर्ड मार्केट और फ्यूचर मार्केट हो गया ! जब तक अवैधानिक था नाम सिर्फ सट्टा ही था! नाम के साथ सट्टे में सेंकडो वर्षो से प्रचलित शब्दकोष बदल गया ! भारतीय सट्टा बाजार में व्याख्या के लिए तेजड़िए ,मंदडीये,बदला,नजराना,झोटा,दला<wbr></wbr>ल,आढतिया जैसे सीमित और आसान शब्द प्रयोग होते थे ! वंही वायदा बनते ही इस बाजार में नये नये शब्दों ने जन्म ले लिया ! लिवाल (लांगपोजीशन) बिकवाल (शोर्टपोजीशन) ब्याज बदला (आर्बिट्रेज), खड़े सौदे ( ओपन इंटरेस्ट) कटान (सेटलमेंट प्राइस) हाजिर घटनाये (फंडामेटल) बेवजह तेजी मंदी (टेक्निकल) इक तरफा तेजी (रेली) इक तरफा मंदी( डिप), छोटी तेजी मंदी को प्रॉफिट टेकिंग के नाम से परिभाषित कर दिया ! डी मेट ,री मेट ,जोबर ,कार्टेल ,ब्रोकर ,मेन क्लाईंट जैसे अनेक शब्दों ने इसे घुमावदार बना कर चकरघिनी कर दिया है ! हिंदी शब्दों का तो नामोनिशान नही है ! प्रयुक्त अंग्रेजी शब्दों का अर्थ निकले तो कुछ और ही नजर आएगा ! अभी वायदा शब्द बचा है ये भी लुप्तप्राय होकर फारवर्ड मार्किट के नाम से ही जाना जायेगा !</div>
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<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif;">
<span style="font-size: x-small;"> </span><span style="font-size: x-small; font-style: italic; font-weight: bold;"> </span><b>व्यापार का बदला तौर तरीका </b></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif;">
<span style="font-size: 13.63636302947998px;"> </span> वायदा व्यापार करने का तौर तरीका भी काफी कुछ बदला है ! पहले स्थानीय स्तर की जानकारी का ही महत्व था वंही अब विश्व में चल रहे घटनाक्रम ज्यादा प्रभावित करते है ! वायदा व्यापार के लिये दुनिया भर की खबरें देखने के आलावा सरकारी रीती नीति का ख्याल रखना पड़ता है ! ये भी ध्यान रखना होता है की कोरपोरेट जगत की नजर किस जिंस पर है ! टेक्निकल ग्राफ बनाने वाले सॉफ्टवेयर से पल पल की जानकारी अहम हो गई है ! टी वी चैनलों पर खरीदने बेचने व घाटा मुनाफा (स्टाप लोश ) की जानकारी भी अपना एक स्थान रखने लग गई है ! कीमत चूकाकर टेक्निकल जानकारी सीधे कंप्युटर पर या मोबाईल पर सुचना उपलब्ध कराने वाली कई एजेंसिया कुकरमुते की तरह उग गई है ! पर कई बाते आज भी समान रूप से उतरी -दक्षणि भारत में प्रचलित है जिसमे ज्योतिषीय आधार जैसे चन्द्रमा की स्थिति ,पंचक और नक्षत्र देख कर व्यापार करना ,शकुन अपशकुन को मानना जैसी बाते अभी भी समान रूप से जारी है ! </div>
</div>
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<br /></div>
</div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-64641538470197423752013-09-22T18:06:00.001+05:302013-09-29T15:04:17.092+05:30ग्वार औंधे मुंह आ गिरा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<span lang="HI">चुनावी सरगर्मी ने प्याज को हीरो बना दिया है जहां देखो खबरों में प्याज ही प्याज है। जैसे बिना प्याज गुजारा ही नही हो रहा। उधर एक्सचेंज शुक्र मना रहे हैं कि प्याज वायदा बाजार में शामिल नहीं है वरना इस महंगाई का आरोप भी सीधा वायदा बाजार पर आ टिकता।</span></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify; text-indent: 36pt;">
<span lang="HI">मंहगाई, चुनाव और बढ़ते घपलों की वजह से</span> <span lang="HI">वायदा बाजार आयोग पहले से ही काफी सतर्कता बरत रहा है। इसे आप प्याज की बढ़ी कीमतों का साइड इफेक्ट भी कह सकते हैं। आपको याद होगा आयोग ने</span> <span lang="HI">पिछले दिनों 25 शीर्ष ग्वार कारोबारियों की सूची मांगी थी। इसके बाद ऊपर की ओर उठता ग्वार लड़खड़ाकर औंधे मुंह आ गिरा। अब आयोग की नई कार्रवाई के तहत मैटल</span>, <span lang="HI">बेस मेटल</span>, <span lang="HI">एनर्जी जैसे गैर कृषि जिंसो का कारोबार भी</span> <span lang="HI">शनिवार के दिन नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार कई वेयर हाउसेज पर निगरानी के तहत आंशिक</span> <span lang="HI">रोक लगाई गई है और क्वालिटी मैटर को भी जांच के घेरे में लिया गया है। जिंस वायदा में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आने वाली वस्तुओं जैसे चीनी</span>,<span lang="HI">चना</span>, <span lang="HI">तेल</span>, <span lang="HI">तिलहन</span>, <span lang="HI">आलू</span> <span lang="HI">आदि पर तो खास नजर रखने की जरूरत हमेशा बनी रहेगी। इनकी तेजी मंदी सत्ता को विचलित कर सकती है।जैसे प्याज ने विचलित कर रखा है ! भाव घटे तो किसान परेशान और बढ़े तो उपभोक्ता। सरकार की स्थिति सांप के मुंह में नेवले जैसी हो गई है। न निगलते बने न उगलते। किसानों के भी वोट चाहिए और ग्रेट इंडियन मिडिल क्लास के भी।</span></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify; text-indent: 36pt;">
<span lang="HI">वित मंत्रालय के आधीन आए आयोग की सजगता को जहां</span> <span lang="HI">छोटे कारोबारी सराह रहे हैं वहीं बड़े सटोरियों में खलबली मची हुई है। आयोग लगातार सजगता और जांच का भय बनाये रखे तो अनर्गल व्यापार से मुक्ति मिलने के साथ</span> <span lang="HI">जिंस वायदा बाजार बड़े आकार में आ सकता है। जिंस वायदा को शुरू हुए एक दशक हो चुका है, लेकिन वॉल्यूम की बढ़ोतरी आशानुकूल नही है !कृषि जिंसो में वोलिय्म बढ़ोतरी के लिए बाजार आज भी तरस रहा है। मैं निजी तौर पर वायदा के खिलाफ नही बल्कि वायदा में सुधार का पक्षधर हूँ। जब भी आवश्यक वस्तुओं के वायदा पर लिखता हूं तो संबधित प्लेटफार्म के लोगों को वायदा विरोधी लगता हूँ। खैर अलग मत रखने</span> <span lang="HI">का</span> <span lang="HI">अधिकार अब भी सुरक्षित है।</span></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify; text-indent: 36pt;">
<b style="text-indent: 36pt;"><i>भाव पत्र </i></b></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify; text-indent: 36pt;">
<span lang="HI">इधर, बीकानेर मंडी में नई मूंगफली की खुशबू आने लगी है। क्वालिटी खराब</span> <span lang="HI">के कारण मूंगफली के औसत भाव </span>2600 <span lang="HI">रूपये प्रति क्विंटल से ऊपर नहीं जा पा रहे हैं। चना ऑल-पेड </span>2930 <span lang="HI">रूपये प्रति क्विंटल के भावों से नरमी बनाये हुए है। ग्वार की गत पहले से ही मंदी की चपेट में आकर खराब है। सप्ताह के शुरूआत में </span>7800 <span lang="HI">रूपये प्रति क्विंटल के भावों से बिका ग्वार सप्ताह के अंत तक </span>1800 <span lang="HI">रूपये प्रति क्विंटल के भाव देख गया, फिर एक बार </span>6000 <span lang="HI">रूपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। भादवे के सूखे रहने से</span> <span lang="HI">ग्वार सहित</span> <span lang="HI">सभी</span> <span lang="HI">फसलें</span> <span lang="HI">खराब होने</span> <span lang="HI">की खबरें आ रही है, वहीं कमजोर मांग के चलते ग्वार के</span> <span lang="HI">भाव और भी गिर रहे है। गिरावट का दौर पूरे सप्ताह इकतरफा जारी रहा। निर्यातको के अनुसार हाल-फ़िलहाल मांग कमजोर है, पर आने वाले समय में इन भावों पर मांग निकल सकती है। वायदा बाजार में अक्टूबर</span> <span lang="HI">अरंडा </span>3631,<span lang="HI"> चना </span>3043,<span lang="HI"> <wbr></wbr>ग्वार </span>6480,<span lang="HI"> सरसों </span>3489,<span lang="HI">सोयाबी<wbr></wbr>न </span>3400 <span lang="HI">रूपये प्रति क्विंटल से बंद हुए।</span></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif;">
<b><i>चलते चलते</i></b> --कई जगह हुई हल्की फुलकी बारिश थोड़ी राहत दे रही है ! रुपया भी डालर के मुकाबले संभल कर चल रहा है ! रिजर्व बेंक के ब्याज दर बढ़ाने से कार्पोरेट जगत नाराज है ! </div>
<div class="yj6qo ajU" style="background-color: white; color: #222222; cursor: pointer; font-family: arial, sans-serif; outline: none; padding: 10px 0px; width: 22px;">
<div aria-label="सुव्यवस्थित सामग्री दिखाएं" class="ajR" data-tooltip="सुव्यवस्थित सामग्री दिखाएं" id=":1zs" role="button" style="background-color: #f1f1f1; border: 1px solid rgb(221, 221, 221); clear: both; line-height: 6px; outline: none; position: relative; width: 20px;" tabindex="0">
<img class="ajT" src="https://mail.google.com/mail/u/0/images/cleardot.gif" style="background-image: url(https://ssl.gstatic.com/ui/v1/icons/mail/ellipsis.png); background-position: initial initial; background-repeat: no-repeat no-repeat; height: 8px; opacity: 0.3; width: 20px;" /></div>
</div>
</div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-76456729477433192112013-09-15T18:00:00.001+05:302013-09-29T15:05:06.265+05:30पैदावार लायक जमीन को खाली छोड़ना ठीक नही <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: medium;">पैदावार लायक जमीन को खाली छोड़ना ठीक नही </span><br />
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13.63636302947998px;">
1965 मेंभारत के माननीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने आह्वान किया था अनाज की कमी से निपटने के लिए किसी भी सुरत में पैदावार दे सकने वाली जमीन को बुवाई से खाली मत रखो ! सप्ताह में एक समय खाना मत खाओ ! खुद प्रधान मंत्री निवास में बैलो से हल चलाकर बुवाई की ! जनता ने घरों में खुली पड़ी जमीन पर सब्जिया उगानी शुरू की ! इसका अच्छा नतीजा सामने आया ! देश ने अपने तरीके से समस्या का निदान किया ! अस्तु !<br />
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पिछले सप्ताह मेने डालर,सोना,खाद्यान,उर्जा और मजदूरी के बारे में तुलनात्मक अध्यन के लिए नये- पुराने भावों को आपके सामने रखा ! यह किसान की उपज,हालात और उपभोक्ता को भावों की दृष्टि से देखने का प्रयास था!</div>
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<span style="font-size: medium;">कृषि जमीनों के बढ़ते भाव और खेती </span></div>
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इसी कड़ी में मैंने किसानो से जमीन और जोत के बारे में बात की ! जानने का प्रयास किया जमीनों के बढ़ते भावों से खेती में नफे नुकसान का ! सीधी साधी बात करें तो आबादी बढ़ रही है जोतने लायक जमीन कम हो रही है ! आबादी के हिसाब से कल कारखाने,सड़के और रिहाईशी उपयोग से जोत घटी है ! अंदरखाने झांके तो कुछ और भी कारण है जिससे किसान भूमिहीन हो रहा है ! और खेती घाटे का सौदा लग रही है ! थोडा नजदीकी इतिहास देखे तो बीकानेर जिले में सन 1990 -1992 में ठीक ठाक बारानी जमीन 700 से 1000 रूपये बीघा के बीच मिल जाती थी ! इसी समय नहरीकरण की योजना से पंजाब हरियाणा व स्थानीय किसानो ने खेती लायक जमीने लेनी शुरू की ! और सन 2000 -2001तक कीमते बढ़ते बढ़ते10000 रूपये बीघा हो गई ! यंहा तक तो ठीक था ! खेती करने वाले किसान ही खेती की जमीने ले रहे थे ! इसके बाद नया दौर शुरू हुआ ! महानगरो में रहने वाले आप्रवासी राजस्थानियों में प्रचार प्रसार शुरू हुआ की दस हजार रूपये बीघा की जमीन तो सिर्फ 35 पैसे स्कवायर फुट में ही मिल रही है ! जबकि कागज के भी यही दाम है ! तो क्यों नही जमीन ली जाये ? बस यंही से तेजी का दौर चालू और खेती की जमीने कारोबारियों ने निवेश के रूप में लेने की कवायद शुरू कर दी ! कारोबारियों ने दलालों के माध्यम से बिना जमीन काम मोका देखे ही कागज के भावों वाली जमीने खरीदनी चालू की और अगले पांच सालों में ही सन 2005 -2006 तक भावों को 80000 -85000 रूपये प्रति बीघा तक पहुंचा दिया ! पांच साल में ही कीमते आठ गुणा तक बढ़ जाने से खरीददारो में अतिरिक्त उत्साह जगा ! फिर तो इन्ही खरीददारो ने नई नई उत्साहवर्धक योजनाये बनाकर प्रचार प्रसार किया जिससे जमीने खरीदने वालों की बाढ़ सी आ गई !योजनाओं में सबसे ज्यादा प्रचार इस बात का था कि आयकर माफ़ कृषि आधारित फसल से सालाना आयकर बचाया जा सकता है और साथ ही निवेश के रूप में जमीन भी सुरक्षित यानि एक काम से दो फायदे !पचीस बीघा (एक मुरबा )में सालाना चार लाख की फसल बताकर एक लाख बीस हजार रूपये आयकर की बचत !साथ ही यह प्रचार की सरकार नई नई योजनाये ला रही है जैसे सिलिकोन वेल्ली,सौर उर्जा ,ड्राई पोर्ट ,लिग्नाईट,सेज मेगा फ़ूड पार्क आदि आदि !इस प्रचार से नये खरीदारों का उदय हुआ इसमें राजनीतीज्ञ ,कोर्पोरेट ,और बाहरी लोग शामिल थे !इन लोगों ने अँधाधुंध जमीने खरीदनी शुरू की और पांच सालों में जमीनों के भाव सन 2011-2013 में ही 5 लाख रूपये प्रति बीघा तक पहुंचा दी ! गौर तलब है की यह भाव उन जमीनों के है जो शहर से दूरस्थ ग्रामीण इलाकों की है !शहर के पास वाली और राष्ट्रीय राजमार्ग के उपर की जमीने तो आसमान छूने लगी और इसके भाव प्रति बीघा 10 लाख से 15 लाख रूपये तक हो गये !इन भावो ने नये कारोबारी खड़े किये !यह कारोबारी थे कालोनिया और फार्म हॉउस व्यापार को पनपाने वाले !इन व्यापारियों या कंम्पनियो का फंडा बिलकुल सटीक और मुनाफे वाला था !और आनन फानन में कृषि भूमि पर सेंकडो कालोनिया और फार्म हॉउस विकसित होने लगे !इन जमीनों के ग्राहक भी भरपूर मिलने लगे !जो छोटे निवेशक है !इनमे बसने वाले कम और इन्वेस्मेंटर ज्यादा है ! जमीन की लोकेशन के आधार पर भिन्न भिन्न दामों से बिक्री लाभ का सौदा बन गया ! दो सौ रूपये वर्ग फुट से आठ सौ रुपया वर्ग फुट के दामो से कालोनियों की जमीने बिकने लगी !कालोनियों की इन जमीनों से 40 %सेट बेक (सड़के ,नाली ,पार्क आदि )छोड़ने पर भी 32 लाख से एक करोड़ तीस लाख रूपये प्रति बीघा तक के पैसे कोलोनाइजर को मिलने लगे! इसमें सडक ,नाली ,बिजली ,पानी आदि की व्यवस्था खर्च भी निकल दे तब भी यह बड़े मुनाफे का व्यापार हो गया ! देखते ही देखते जमीन दलालों की एक फौज खड़ी हो गई !पहले कृषि भूमि फिर प्लाट ,फार्म हॉउस आदि के सौदे कराने में इन दलालों का खूब योगदान रहा !<br />
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<span style="font-size: medium;"> किसान और जमीन </span></div>
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अब फिर हम अपने मूल विषय किसान और जमीन पर आते है !और देखते है खेती क्यों घाटे का सोदा हो रही है !किसान की पचीस बीघा कृषि जमीन का दाम चार लाख रूपये बीघा से ही लगाये तो कीमत होती है एक करोड़ ! इसका बेंक ब्याज निकाले तो सालाना 9 %से ब्याज बनता है 9 लाख ! अब खेती से देखे तो बारानी असिंचित जमीन से किसी सुरत में डेढ़ लाख से ज्यादा की फसल नही होगी ! यही कारण है खेती से मोह भंग का ! कोई भी कोर्पोरेट ,व्यापारी ,इंडस्ट्रियलिस्ट यदि अपना कोई उद्योग शुरू करता है तो जमीन ,मशीन ,बिल्डिंग आदि सभी की कोस्ट जोडकर अपने सामान की लागत निकलता है ! तो किसान क्यों नही लागत निकाले ? </div>
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जोत की जमीन रफ्तार से नही घटे और किसान भूमिहीन न हो ! यदि सरकार वाकई कृषि और किसान का भला चाहती है तो कोई ठोस योजना लानी होगी ! मसलन किसान की खेती लायक जमीन नही बिके बल्कि लीज पर जाये ! जिससे किसान मालिक बना रह सके ! खेती की परस्थितियो के अनुकूल कोई भी जमीन काश्त के आभाव में नही रहे ! सौर उर्जा के लिए सिर्फ बंजर जमीन का उपयोग हो ! कोरपोरेट ,व्यापारी कोई भी जमीन खरीदे तो काश्त अनिवार्य हो ! ये नही की निवेश करके जमीन छोड़ दी ! खेती को राष्ट्रीय संपदा के रूप में जाना जाये ! इस तरह की बहुत सारी बातों पर बहस हो और निचोड़ निकले ! उदाहरण के लिए वाड्रा साहब के यंहा जमीन लेने से खूब राजनीतिक हल्ला गुल्ला हुआ ! मेरा ऐसा मानना है अगर वाड्रा साहब ने जमीन खुली न छोड़ कर खेती शुरू कर दी होती तो शायद इतना हल्ला गुल्ला नही होता ! यंही मुझे लाल बहादुर शास्त्री याद आये !</div>
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<span style="font-size: medium;">ग्वार की बिजाई </span><br />
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52 वर्षीय जगदेवसिंह चारण बताते है पश्चिम में बीकानेर से बाड़मेर पाकिस्तान बोर्डर तक व पूर्व में देहली एनसीआर तक ग्वार की जबरदस्त बिजाई हुई है !चारण का कहना है में 31 साल से बस का सफर कर रहा हूँ मैंने अपने जीवन में ऐसी बिजाई पहले नही देखी !चारण परिवहन विभाग में टिकिट निरक्षक है ! ग्वार के भाव अभी कई दिनों से 5500 रूपये प्रति क्विंटल के आस पास रुके हुए है !</div>
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P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-28863548423617998682013-09-15T17:57:00.002+05:302013-10-10T18:32:18.731+05:30अमृत की तलाश में बाजार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="utdU2e" style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif;">
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<div class="ii gt m140fe0ac67677f56 adP adO" id=":21b" style="background-color: white; color: #222222; direction: ltr; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13.63636302947998px; margin: 5px 15px 0px 0px; padding-bottom: 5px; position: relative; z-index: 0;">
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अमृत की तलाश में बाजार<br />
खेती ,खनिज ,इंडस्ट्री ,आयात ,निर्यात और जरूरत यह सभी मिलकर बाजार रुपी समुन्द्र तेयार करती है ! इनमे से कोई भी धारा बिगड़े तो बाजार का रूप बदल जाता है ! इस समुन्द्र में विष और अमृत दोनों है !किसी के हाथ विष लग जाता है तो किसी के हाथ अमृत ! जिनके हाथ विष लगता है पीना तो उसीको पड़ता है ! पर अब वो शिव नही कहलाते ! वो कहलाते है अज्ञानी ,ड्फोल और मंदबुद्धि ! जिनके हाथ अमृत लगता है वो गुणी ,धीमान ,और समझदार माने जाते है ! यकीन जानिए आज पैसा अधिक लोगो के हाथ से निकल कर तथाकथित चंद गुणी लोगो के पास जा रहा है ! अमीर और अमीर हो रहा है ! तथा गरीब और गरीब होकर गरीबी संख्या में वृद्धि कर रहा है ! आज इस विकसित बाजार में यही कुछ हो रहा है ! एक तरफ वैश्विकरण के नाम पर बाजार को मुक्त किये जाने की घोषणा होती जा रही है ! दूसरी तरफ कई घोड़ो पर सवार सरकार लगाम लगाने का नाकाम प्रयास भी कर रही है ! जिसका नतीजा महंगाई और गिरते रूपये से सामने आ रहा है ! रूपये को संभालने की सारी कवायद बेकार साबित हो रही है ! संभलेगा भी कैसे ? भारत में जंहा बचत संस्कृति थी ! आज प्रगति दिखाने के लिए लोन संस्कृति को बढ़ावा दे दिया है ! इस संस्कृति को फेलाया किसने ? उदाहरण के लिए लोन ने कारों और दुपहियों से सडको को भर दिया है ! अब ये बिना इंधन चलेंगे केसे ? पेट्रोल पर टेक्स भी केंद्र और राज्य सरकारों ने खूब ठोक रखा है ! पर बिक्री नही घट रही ! महंगी मंहगी देशी विदेशी गाडियों को किसान के नाम का सस्ता डीजल क्यों मुहेया करवाया जा रहा है ? बिना जरूरत खर्चों पर रोक क्यों नही ? चार पांच लोगों के परिवार के लिए सैंकड़ो करोड़ की लागत के मकान क्यों बनने दे रहे है ? जिस देश में करोड़ो लोगों के पास रहने को छत नही वंहा ये अमीरी का दिखावा किसलिए ?अमीर तो भारत में पहले भी थे ! आज भी जब अमीर की बात आती है तो सम्मान के साथ टाटा बिडला का नाम लेते है ! आज के नये रईसों का नही ! यह सब खरा खोटा इस विशाल बाजार का किया धरा है ! इस समुन्द्र में जिसके पास बड़ा जहाज है वो अमृत इकठा करने में लगे है ! बाकि छोटी मोटी किशतिया बाजार में उतरती तो अमृत के लिए है पर फिर खुद को बचाने की सांसत में ही लगी रहती है ! सरकारी नीतिया ही डुबो रही है ! मंत्रीजी का बेतुका बयान देखिये रात को आठ बजे पेट्रोल पम्प बंद करने से इंधन की बिक्री कम जायेगी! मंत्रीजी राजस्थान सरकार से पूछ लीजिये दारू की बिक्री रात को आठ बजे के बाद बंद करदी ! अब बिक्री घटी या बढ़ी ?<br />
माना जाता रहा है की सरकार गुणी और ज्ञानवान लोगों से बनती है ! सरकार जो भी कर रही है कुछ सोचकर ही कर रही होगी ? जैसे खाध्य गारंटी ,लेपटोप ,मोबाईल आदि आदि ! उपभोगता सिर्फ अपनी फ़िक्र में निवेदन ही कर सकते है की हे राज के धारी रोजमर्रा के काम आने वाली आवश्यक वस्तुओं के दाम कृत्रम कारणों से नही बढ़े ! इतना ख्याल इस बाजारीकरण की आपा धापी में रख लेंगे तब भी राहत रहेगी ! इस बाजार रुपी समुन्द्र में सरकारी गश्त जरूरी है ! <br />
सप्ताहिक गतिविधि पर सरसरी नजर......<br />
ग्वार में उथल पुथल के साथ तेजी ,डालर में भारी उठा पटक के बाद नरमी ,सोना चांदी में बढत के बाद नरमी ,वायदा बाजार वित् मंत्रालय के अधीन जाने की और ,वेयर हाउसों के लिए नये सरकारी नियामक की घोषणा जल्द ,NSEL का भुगतान संकट कायम ,ग्वार वायदा का दस टन अनुबंध शुरू,सीरिया युद्ध की आशंका के बावजूद जीरा में खास गर्मी नही ,बरसात नही होने से बारानी खेती में नुकसान की आशंका ,वायदा वोलिय्म में गिरावट! कुल मिलाकर बाजार में ग्राहकी के आलावा दूसरी हलचल ज्यादा रही ! </div>
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P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-27187497612932878022013-09-15T17:53:00.001+05:302013-10-10T18:33:30.628+05:30फसलें प्यासी बरसात की जरूरत /ग्वार पर fmc का रूख कड़ा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: medium;"><b><i>फसलें प्यासी बरसात की जरूरत </i></b></span><br />
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 14px;">
दिन में गर्मी रात को ठंड ! मौसम है की सपोर्ट ही नही कर रहा ! इस मौसम से फसलों को नुकसान हो रहा है ! बाराणी और नहरी खेती के अनुभवी अजीतसिंह बेलासर का मानना है कि जल्द बारिश नही होती है तो बाराणी खेती चोपट हो सकती है ! खेतो में फसले प्यासी नजर आने लगी है ! नहरी और कुओं से सिंचित फसलों को भी नुकसान हो रहा है ! सिचित क्षेत्र में जितनी इल्ड (उतारा)आनी चाहिये वो नही आयेगी ! मूंगफली ,ग्वार मोठ सभी जिंसो की हालत एक जैसी है! उधर मध्यप्रदेस में ज्यादा बारिश से सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंच ही चूका है! सब कुछ पृक्रती पर निर्भर है ! इसीलिए खेती सबसे बड़ा जुआ है ! इस जुए को खेलना किसान की मजबूरी भी है ! मोसम विभाग ओसत निकाल कर 10 % ज्यादा बरसात बता रहा है ! जिसके आधार पर सरकारी विभाग कृषि उत्पादन बढ़ा चढ़ा कर बता रहा है ! पर हमे ये समझना जरूरी है कि फसल के लिए प्रथम,मध्यकाल व अंतिम बरसात की पोजीसन केसी रहती है !ग्वार ,मोठ, मूंगफली के लिए प्रथम अच्छी बरसात ने भरपूर बिजाई करवा दी ! अब मध्यकाल की बरसात ने गणित गडबड कर रखा है जिसका ओसत से कोई लेना देना नही है ! बरसात नही होती है तो बाराणी किसान खर्चे के बोझ तले आ ही जायेगा !इस जुआरी खेती के वास्ते दूरगामी सरकारी नीति की आवश्यकता है ! सरकार बड़ी बड़ी योजनाये लेकर आती है और अनाप शनाप धन भी खर्च करती है जेसे रोजगार गारंटी ,खाध्य सुरक्षा,शिक्षा आदि फिर भी माकूल व्यवस्था नही हो पा रही ! आगे से आगे और योजनाओं की जरूरत महशुस होती रहती है ! पीड़ा के लिए दवा दे रहें है पर बीमारी का जड़ से इलाज नही कर रहे ! कंही सूखे की मार तो कंही बाढ से हालात खराब ! ऐसे वक्त ठंडे बस्ते में पड़ी अटलबिहारी बाजपेयी की नदी जल जोड़ो योजना की जरूरत महसूस होती है ! आम आदमी को भी लगने लगा है की इस योजना से तिहरा फायदा होगा ! इससे बाढ़ से राहत ,सूखे में सिचाई और जमीन में घटते जल स्तर को संभाला जा सकेगा ! भारत में कृषि क्रांति हेतु ये योजना निर्णायक साबित हो सकती है !<br />
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<span style="font-size: medium;"><b><i> ग्वार पर fmc का रूख कड़ा </i></b></span></div>
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हाजिर और वायदा दोनों में ग्वार ने तहलका मचा रखा है ! ग्वार वायदा में रोजाना कभी उपर का सर्किट तो कभी निचे का सर्किट ! वायदा बाजार आयोग ने ग्वार खरीददार पर अतिरिक्त मार्जिन भी लगा दिया है ! अब आयोग ने छानबीन करने के लिये एक्सचेंजों से टॉप ट्वेंटीफाइव ग्वार कारोबार करने वालों की सूची मांगी है ! जाहिर है वायदा बाजार आयोग पिछली ग्वार की सट्टेबाजी से सावधान है और नकेल कसने की तेयारी में है ! गुरुवार को हाजिर बाजार में भी ग्वार ने वायदा को पीछे छोड़ दिया ! गुरुवार को सुबह दस बजे नो हजार रूपये प्रति क्विंटल बिकता हुआ चार घंटे बाद ही आठ हजार रूपये प्रति क्विंटल बिकने लगा ! हाजिर और वायदा दोनों की उठा पटक ने मध्यम वर्गीय कारोबारियों को ग्वार से दूर रहने की सीख तो दे ही दी है ! वायदा बाजार आयोग के चेयरमेन रमेश अभिषेक ने वेयरहॉउसिंग,क्वालिटी कंट्रोल,गलत फंडिंग,अनर्गल तेजी मंदी,संगठित सटेबाजी जैसे मुद्दों पर कठोर रवैया अपनाना शुरू कर दिया है ! मेरा मानना है कि इसके दूरगामी परिणाम सामने आयेंगे ! छोटे कारोबारियों के लिए सुगमता से ही वायदा बाजार विस्तृत रूप ले पायेगा तथा व्यापार करने वाले भागीदारों की संख्या में बढ़ोतरी हो पायेगी ! </div>
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P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-91256671151105826082012-12-14T18:39:00.000+05:302012-12-14T18:39:35.896+05:30वायदा एग्री कोमोडिटी का सरताज ग्वार अब वायदा से बाहर बेठा है <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ग्वार की फसल फिर बाजार में आ गई है पर वायदा में न होने से ग्वार की रोनक नही सिर्फ हाजिर व्यापर में लिवाल बिकवाल ही भावों की पूछ परख कर रहें है आम तौर पर तो पता ही नही लगता की वास्तविक भाव क्या है कंही 14500 बिक रहा है तो कहीं 13700 के भावों से ये भाव फर्क भी महज पचास किलोमीटर में है अब क्या हो गया है समझ ही नही आ रहा मिलवाले चुप बेठे है मुंह नही खोल रहे !ये आलम तो उस जींस का है जो वायदा बाजार में एग्री कोमोडिटी का सरताज हुआ करता था और इसी ग्वार की तेजी मंदी के पीछे दूसरी जिंसो में चाल आ जाती थी एक तरफ जंहा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आने वाली जिंसो का वायदा खूब आराम से चल रहा है वंही ग्वार को बाहर रखा गया है संगठित होकर सट्टा करने वालों ने इस सोने की मुर्गी को चीर दिया जिसका दंड किसान भर रहे है!एक नई बात यह की वायदा से किसी जींस को हटाने के लिए लोग मांग किया करते थे आज उसी वायदा में ग्वार को शामिल करने के लिए मेरे शहर बीकानेर में किसान धरना प्रदर्शन कर रहें है वायदा में अब सरताज के रूप में सोयाबीन और सोयातेल है देखते है आगे क्या होता है !</div>
P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-64196348450313846752012-10-31T11:51:00.000+05:302012-10-31T11:51:22.539+05:30 आज की गलती फिर एक गुलामी की दास्ताँ लिख सकती है !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
लोकतंत्र के चार खम्भों में से तीन पर भ्रस्टाचार के आरोप इन दिनों खूब जोर शोर से लग रहे है! ये क्या हो गया है हम किस रसातल में जा रहे है क्या उस रसातल से बाहर आने का कोई रास्ता मिलेगा ? या हम इस भ्रस्टाचार को स्वीकारने के आदि हो जायेंगे? जिस तरह आज हम रिश्वत खोरी के अभ्यस्त हो चुके है और मान चुके है की इतनी रकम लेकर कोई काम करता है तो ये बिचारे की मेहनत है जेसे कोई बाबु किसी फार्म को जमा करने के लिए 100 रुपय मांगता है तो ठीक है पर उसी काम के 500 मांगे तो वो बेईमान है गंदा है खराब है इसी तरह की धारणाये तो बन चुकी है यानि हमने इस रूप को स्वीकार कर लिया है ये सारी बातें हमारे मस्तिक में घर कर चुकी है और अब 2 कदम आगे बढ़ते हुए इसके बड़े रूप को स्वीकार करने जा रहे है जेसे बड़े -बड़े घोटाले सताधारियों के, उससे भी आगे विपक्ष की भूमिका निभाने वाले दलों की स्नदिघ्धता पूर्ण कारगुजारिया और बड़े मिडिया घरानों पर लगते आरोप कहाँ ले जा रहे है कोन सा खम्भा बचा है ? सिर्फ एक खम्भा जिस पर अब तक भरोसा बचा है वो है न्यायपालिका, क्या इस तरह बढ़ते भ्र्स्ताचारी दानव के मुंह से इस एक मात्र खंभे को भी हम बचा पाएंगे सोचना होगा आज की गलती फिर एक गुलामी की दास्ताँ लिख सकती है !<br />
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P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-16818901405005544552011-11-25T18:24:00.000+05:302011-11-25T18:24:15.044+05:30ग्वार चोबीस घंटे में पांचसो की तेजी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">ग्वार की अचानक आई तेजी ने हेरान कर दिया चोबीस घंटे में पांचसो की तेजी ये क्या हो रहा है ?ऐसे तो हो गया ग्वार का कारोबार- लोगो का मन हट रहा है ग्वार के वायदा व्यापर से !वायदा में सटे बाजी का कितना जोर है ये नमूना है बच के रहिये और किसी दूसरी तरफ ध्यान दीजिये !डिमांड सप्लाई का मामला नही फसल सर पर खड़ी है विदेसी मांग शुरू से अच्छी है पर ऐसा भी नही की एका एक कुछ नया हो गया हो लुटने से अच्छा दुरी बनाये रखने में ही सर है !</div>P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-51045123741257149472011-10-07T18:46:00.000+05:302011-10-07T18:46:57.704+05:30चने में तेजड़ियों को धराशाई कर दिया<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">गुआर की बिजाई अच्छी होने के बाद अभी तीन चार दिन से गर्म हवाओं से फसल को कुछ नुकसान हुआ है पर अभी कोई ज्यादा नुकसान नही है एग्री वायदा बाजार में सभी जिंसो में मंदी आई है इस मंदी का कारनामा शुरू हुआ चने वायदा से !चने में लगातार चार निचे के सर्किट लगे और इसकी शुरुआत हुई लिवाल पर मार्जिन लगाने सेऔर उस पर दुसरे दिन राजस्थान सरकार ने स्टाक लिमिट चने की आधी करदी जिसने तेजड़ियों को धराशाई कर दिया इस तरह की मंदी पहले कभी देखने को नही मिली !जिस चने की सोर्टेज बताई जा रही थी उसीको बम्पर बना दिया यानि सारा खेल सटोरियों का ही था !इसी तरह गुआर का क्या करेंगे ये भी वक्त ही बतायेगा अभी तो गुआर में रोजाना बड़ी घट बढ़ हो रही है पता नही चने की तरह किस के गले में घंटी बांधेगे </div></div>P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-29872100211275338542011-09-25T11:41:00.000+05:302011-09-25T11:41:33.500+05:30राजस्थान में गुआर की बिजाई२७५० लाख हेक्टर में<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">गुआर की बिजाई पूरी हो चुकी है इस बार राजस्थान में २७५० लाख हेक्टर में गुआर की बिजाई हुई है जो लछ्य से ५० लाख हेक्टर ज्यादा है पर पिछले साल की ३००० लाख हेक्टर की बुवाई से कम ही है अच्छी समय पर हुई बरसात और धूप ने फसल को जोरदार बना रखा है इस बार व्यापारिक अनुमानों के अनुसार १ करोड़ ५० लाख बोरी की पैदावार पुरे भारत मै आने की उमीद है ऐसे में इसकी तेजी मंदी आने वाली गम की विदेशी मांग पर निर्भर करेगी पिछले २०१० /२०११ की तरह यदि मांग रहती है तो इसमें मंदी नही है पर मांग मै जरा सी भी सुस्ती रही तो एक बार इन ऊँचे भावों से बाजार धड़ाम कर के गिर सकते है तो सभी विकल्प खुले रखते हुए आने वाले समय का इंतजार करके ही मानसिकता बनानी चाहिए और सटोरिये क्या सोच रहे है इसकी थाह लेते रहनी चाहिए </div><div style="text-align: left;"><span></span> </div></div>P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7587300249843047929.post-680508633551136212011-01-21T17:50:00.000+05:302011-01-21T17:50:43.194+05:30ग्वार क्या महत्व रह गया है किसी विश्लेसन का<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span style="font-size: small;">पिछले दिनों वायदा के बारे में प्रकाशित मेरे लेख को ब्लाग पर डाल दिया है !ग्वार की तेजी मंदी के बारे में अपने विचारों को रोके रखा लिखा नही ये ठीक ही रहा !मेरा मन ग्वार की फसल और डिमांड की तरफ ही ज्यादा रहा और उससे तेजी नही बन रही थी पर गत समय की तेजड़ियों और उनके विपरीत लोगो की कसरत देखे तो दोनों और से आरोप प्रत्यारोप मिडिया में लगे की फसल पर नियन्त्रण करने के प्रयास में बड़ी कम्पनिया लग गई है जाहिर है राजनेतिक जोर आजमेईस भी हुई, मार्जिन भी लगा ,भाव भी बढ़े ,लगातार भाव तेज भी हो रहे है ,फसल पर भी कब्जा हुआ है ,इन सब बातो के बाद क्या महत्व रह गया है किसी विश्लेसन का ? पुराणी बात याद आगई (करो बेटा फाटका ना घर का रहे ना घाट का )धोबी के कुते वाली बात हो गई !आगे बाजार देख रहे है ऊंट किस करवट बेठेगा !</span><br />
</div>P.R.CHOPRAhttp://www.blogger.com/profile/07029558169046551562noreply@blogger.com1