गुरुवार, 27 सितंबर 2018

बाजार के फंडामेंटल ,टेक्निकल ओर वर्तमान

शेयर बाजार के फंडामेंटल कभी मजबूत नही दिखे मगर डेढ़ गुणा बढ़ गए । मजबूत होने के बाद ही नए नए कारण निकलते है पूरे देश का अधिकतम इन्वेस्टमेंट उधर चला गया ।
कोमोडिटी मार्केट में भी लिक्विडिटी की कमी का कारण भी इसे ही माना जाता रहा ।
अब भी कुछ कोमोडिटी मजबूत फंडामेंटल के बावजूद कमजोर है(खास तौर पर केस्टर ग्वार चना) तो इसके कारण भी बाद में ही निकलेंगे ।
भारत की मजबूत अर्थ व्यवस्था के बावजूद रुपया गिरा अब 100 की बाते आने लगी है इसी तरह ऊर्जा क्षेत्र में क्रूड के बहुत सारे विकल्प आने के बाद तेज हुआ । यह सब बातें फडमेटल सोच के विपरीत चल रही है ।
में फसल कम बता रहा हूँ यह सत्य है । वायदा मन्दा दिख रहा है यह शास्वत सत्य है ।
सभी जिंसों के टेक्निकल कारण ओर टारगेट हर घण्टे tv पर देखतें है लग गया तो ठीक वरना sl तो है ही ।
बस यह सब चलता रहेगा इसलिए   जेब देख धंधा करना ठीक फॉलो अपनी मन पसन्द चीज को करो ।
एस्ट्रो,टेक्नी,फंडा, टेक्नॉफंडा या शगुन ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

सोमवार, 17 सितंबर 2018

ग्वार की फसल पर अकाल की मार

राजस्थान पहले दौर की अच्छी बरसात से ग्वार की बिजाई भी अच्छी हुई हालांकी सरकार द्वारा तय पूरा टारगेट नही हो पाया । अच्छी बरसातों के बाद 18 अगस्त से आज 17 सिपटम्बर तक बरसात नही होने से बारानी ग्वार तो बर्बादी की भेंट चढ़ गया वन्ही नहरी भी कम पानी मिलने से खराब हुआ है । खेतों को देखने के बाद अब तय शुदा है फसल पिछले साल से कम आएगी । पिछले साल भी आखरी की बरसात नही होने से बारानी ग्वार चौपट हो गया था मगर नहरी ग्वार की अच्छी पैदावार हुई । इस बार दोनो में टोटा है और कम फसल के साथ भाव भी गिरने लगे है । कुछ समय पहले वायदा में 4650 बिकने वाला ग्वार आज 4180 पर ही कारोबार कर रहा था । 

बुधवार, 8 अगस्त 2018

सट्टा माइंड सेट गेम

सट्टे की दुनिया मे हमेशा माइंड सेट गेम  चलता रहता है माइंड सेट करो और अर्थ कमाओ ।
इनके इस साल के भी कई उदाहरण सामने है । कोकु खली 1200 पर तीन फिगर की हवा बनी और भाव 1800 । जीरा 16000 पर 19000 की हवा बनी और भाव 14000 हो गए थे । चना 5200 पर 6000 की हवा बनी और भाव 3400 हो गए थे । केस्टर 4300 पर 4800 की हवा और भाव 3900 हो गए ।
आगे लिखने की जरूरत ही नही की तेल, सोया, सरसों,गम ,धनिया की जो हवाये चली बाज़ार उसके खिलाफ चला ।
हवाये बनाना माइंड सेट गेम है और उसमें फसकर शिकार होना शिकारी की सफलता है ।

सजगता के लिए 🙏🏻

रविवार, 8 जुलाई 2018

Msp का सच


न्यूनतम समर्थन मूल्य (msp) की घोषित दरें डेढ़ गुना तो नहीं, फिर भी बड़ी राहत : चौपङा

समर्थन मूल्य (map)  घोषित कर ही दिए। सरकार का कहना है यह लागत मूल्य का डेढ़ गुना है, मगर विशेषज्ञों का मानना है कि घोषित समर्थन मूल्य लागत के डेढ़ गुना से कम हैं, लागत का कितना प्रतिशत ज्यादा है विशेषज्ञ उसके आकलन में लगे हैं।

समर्थन मूल्य के तय करने की प्रक्रिया से वास्ता रखने वाले बीकानेर के पुखराज चौपड़ा का मानना है कि सरकार ने कुछ राहत जरूर दी, मगर राहत का असल रूप तब दिखेगा जब सरकार इन भावों पर फसलें खरीद करेगी।
सरकारी खरीद के बावजूद चना, उड़द तुअर, मूंगफली, सरसों जैसी फसलें समर्थन मूल्यों से काफी नीचे भावों पर बाजार में बिकींं।
चौपड़ा का यह कहना है कि पिछले दो वर्षों से हम कहते आये हैं कि किसान की फसलोंं के समर्थन मूल्य जमीन के किराया, किसान की मजदूरीऔर पट्टे का किराया आदि जोड़कर घोषित की जाए। किसानों को इस राहत की जरूरत पर कई डिबेटों–मसलन दूरदर्शन व बिजनस चैनल्स के अलावा प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया में लगातार लिखते-बोलते रहे है। किसान चैनल के वाद-संवाद कार्यक्रम में न्यूनतम समर्थन मूल्य का सच पर हुई एक घंटे की सार्थक बहस के बाद सरकार इस मसले पर कुछ गम्भीर नजर आई।

इस विषय पर केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल, गजेंद्रसिंह शेखावत, अश्विनी चौबे ,योजना आयोग के डॉ. रमेश चाँद, महाराष्ट्र सीएसीपी के पासा पटेल सहित कई लोगो से बातचीत हुई। चौपड़ा को तसल्ली है कि इस बार कुछ तो ठीक निर्णय हुआ, क्रियान्वयन भी शत-प्रतिशत हो जाए तो किसानों को ठीकठाक राहत मिल जाएगी।

एग्री जिंसों घटता वोलियम चिंता का विषय

कृषि जिंसों का वायदा वोलियम लगातार गिरा है साथ ही हाजिर बाजार की गतिविधियां भी कमजोर हुई है । नोटबन्दी के बाद सारा रुझान ओर निवेश शेयर मार्केट की तरफ गया जो हाजिर वायदा दोनो को कमजोर कर गया । अब मानसूनी समय मे बढ़ोतरी की एक उम्मीद है इसमें भी यदि वोलियम गति नही आई तो निराशा के बादल छा जाएंगे ।
सरकार को msp भाव नियंत्रण के लिये वायदा बाजार में प्रवेश करना चाहिए । जिससे कृषि फसलों का वायदा ओर हाजिर बाजार दोनो गति पा सके । सरकार के कदमो से ही विश्वास जमेगा ऐसी मेरी धारणा है ।