रविवार, 8 जुलाई 2018

Msp का सच


न्यूनतम समर्थन मूल्य (msp) की घोषित दरें डेढ़ गुना तो नहीं, फिर भी बड़ी राहत : चौपङा

समर्थन मूल्य (map)  घोषित कर ही दिए। सरकार का कहना है यह लागत मूल्य का डेढ़ गुना है, मगर विशेषज्ञों का मानना है कि घोषित समर्थन मूल्य लागत के डेढ़ गुना से कम हैं, लागत का कितना प्रतिशत ज्यादा है विशेषज्ञ उसके आकलन में लगे हैं।

समर्थन मूल्य के तय करने की प्रक्रिया से वास्ता रखने वाले बीकानेर के पुखराज चौपड़ा का मानना है कि सरकार ने कुछ राहत जरूर दी, मगर राहत का असल रूप तब दिखेगा जब सरकार इन भावों पर फसलें खरीद करेगी।
सरकारी खरीद के बावजूद चना, उड़द तुअर, मूंगफली, सरसों जैसी फसलें समर्थन मूल्यों से काफी नीचे भावों पर बाजार में बिकींं।
चौपड़ा का यह कहना है कि पिछले दो वर्षों से हम कहते आये हैं कि किसान की फसलोंं के समर्थन मूल्य जमीन के किराया, किसान की मजदूरीऔर पट्टे का किराया आदि जोड़कर घोषित की जाए। किसानों को इस राहत की जरूरत पर कई डिबेटों–मसलन दूरदर्शन व बिजनस चैनल्स के अलावा प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया में लगातार लिखते-बोलते रहे है। किसान चैनल के वाद-संवाद कार्यक्रम में न्यूनतम समर्थन मूल्य का सच पर हुई एक घंटे की सार्थक बहस के बाद सरकार इस मसले पर कुछ गम्भीर नजर आई।

इस विषय पर केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल, गजेंद्रसिंह शेखावत, अश्विनी चौबे ,योजना आयोग के डॉ. रमेश चाँद, महाराष्ट्र सीएसीपी के पासा पटेल सहित कई लोगो से बातचीत हुई। चौपड़ा को तसल्ली है कि इस बार कुछ तो ठीक निर्णय हुआ, क्रियान्वयन भी शत-प्रतिशत हो जाए तो किसानों को ठीकठाक राहत मिल जाएगी।

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