रविवार, 22 सितंबर 2013

ग्वार औंधे मुंह आ गिरा


चुनावी सरगर्मी ने प्याज को हीरो बना दिया है जहां देखो खबरों में प्याज ही प्याज है। जैसे बिना प्याज गुजारा ही नही हो रहा। उधर एक्‍सचेंज शुक्र मना रहे हैं कि प्याज वायदा बाजार में शामिल नहीं है वरना इस महंगाई का आरोप भी सीधा वायदा बाजार पर आ टिकता।
मंहगाई, चुनाव और बढ़ते घपलों की वजह से वायदा बाजार आयोग पहले से ही काफी सतर्कता बरत रहा है। इसे आप प्याज की बढ़ी कीमतों का साइड इफेक्ट भी कह सकते हैं। आपको याद होगा आयोग ने पिछले दिनों 25 शीर्ष ग्वार कारोबारियों की सूची मांगी थी। इसके बाद ऊपर की ओर उठता ग्वार लड़खड़ाकर औंधे मुंह आ गिरा। अब आयोग की नई कार्रवाई के तहत मैटलबेस मेटलएनर्जी जैसे गैर कृषि जिंसो का कारोबार भी शनिवार के दिन नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार कई वेयर हाउसेज पर निगरानी के तहत आंशिक रोक लगाई गई है और क्वालिटी मैटर को भी जांच के घेरे में लिया गया है। जिंस वायदा में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आने वाली वस्तुओं जैसे चीनी,चनातेलतिलहनआलू आदि पर तो खास नजर रखने की जरूरत हमेशा बनी रहेगी। इनकी तेजी मंदी सत्‍ता को विचलित कर सकती है।जैसे प्याज ने विचलित कर रखा है ! भाव घटे तो किसान परेशान और बढ़े तो उपभोक्‍ता। सरकार की स्थिति सांप के मुंह में नेवले जैसी हो गई है। न निगलते बने न उगलते। किसानों के भी वोट  चाहिए और ग्रेट इंडियन मिडिल क्‍लास के भी।
वित मंत्रालय के आधीन आए आयोग की सजगता को जहां छोटे कारोबारी सराह रहे हैं वहीं बड़े सटोरियों में खलबली मची हुई है। आयोग लगातार सजगता और जांच का भय बनाये रखे तो अनर्गल व्यापार से मुक्ति मिलने के साथ जिंस वायदा बाजार बड़े आकार में आ सकता है। जिंस वायदा को शुरू हुए एक दशक हो चुका है, लेकिन वॉल्‍यूम की बढ़ोतरी आशानुकूल नही है !कृषि जिंसो में वोलिय्म बढ़ोतरी के लिए बाजार आज भी तरस रहा है। मैं निजी तौर पर वायदा के खिलाफ नही बल्कि वायदा में सुधार का पक्षधर हूँ। जब भी आवश्यक वस्तुओं के वायदा पर लिखता हूं तो संबधित प्लेटफार्म के लोगों को वायदा विरोधी लगता हूँ। खैर अलग मत रखने का अधिकार अब भी सुरक्षित है।
भाव पत्र 
इधर, बीकानेर मंडी में नई मूंगफली की खुशबू आने लगी है। क्वालिटी खराब के कारण मूंगफली के औसत भाव 2600 रूपये प्रति क्विंटल से ऊपर नहीं जा पा रहे हैं। चना ऑल-पेड 2930 रूपये प्रति क्विंटल के भावों से नरमी बनाये हुए है। ग्वार की गत पहले से ही मंदी की चपेट में आकर खराब है। सप्ताह के शुरूआत में 7800 रूपये प्रति क्विंटल के भावों से बिका ग्वार सप्ताह के अंत तक 1800 रूपये प्रति क्विंटल के भाव देख गया, फिर एक बार 6000 रूपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। भादवे के सूखे रहने से ग्वार सहित सभी फसलें खराब होने की खबरें आ रही है, वहीं कमजोर मांग के चलते ग्वार के भाव और भी गिर रहे है। गिरावट का दौर पूरे सप्ताह इकतरफा जारी रहा। निर्यातको के अनुसार हाल-फ़िलहाल मांग कमजोर है, पर आने वाले समय में इन भावों पर मांग निकल सकती है। वायदा बाजार में अक्टूबर अरंडा 3631, चना 3043, ग्वार 6480, सरसों 3489,सोयाबीन 3400 रूपये प्रति क्विंटल से बंद हुए।
चलते चलते --कई जगह हुई हल्की फुलकी बारिश थोड़ी राहत दे रही है ! रुपया भी डालर के मुकाबले संभल कर चल रहा है ! रिजर्व बेंक के ब्याज दर बढ़ाने से कार्पोरेट जगत नाराज है ! 

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