शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

वायदा एग्री कोमोडिटी का सरताज ग्वार अब वायदा से बाहर बेठा है

ग्वार की फसल फिर बाजार में आ गई है पर वायदा में न होने से ग्वार की रोनक नही सिर्फ हाजिर व्यापर में  लिवाल बिकवाल ही भावों की पूछ परख कर रहें है आम तौर पर तो पता ही नही लगता की वास्तविक भाव क्या है कंही 14500 बिक रहा है तो कहीं 13700 के भावों से ये भाव फर्क भी महज पचास किलोमीटर में है अब क्या हो गया है समझ ही नही आ रहा मिलवाले चुप बेठे है मुंह नही खोल रहे !ये आलम तो उस जींस का है जो वायदा बाजार में एग्री कोमोडिटी का सरताज हुआ करता था और इसी ग्वार की तेजी मंदी के पीछे दूसरी जिंसो में चाल आ जाती थी एक तरफ जंहा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आने वाली जिंसो का वायदा खूब आराम से चल रहा है वंही ग्वार को बाहर रखा गया है संगठित होकर सट्टा करने वालों ने इस सोने की मुर्गी को चीर दिया जिसका दंड किसान भर रहे है!एक नई बात यह की वायदा से किसी जींस को हटाने के लिए लोग मांग किया करते थे आज उसी वायदा में ग्वार को शामिल करने के लिए मेरे शहर बीकानेर में किसान धरना प्रदर्शन कर रहें है वायदा में अब सरताज के रूप में सोयाबीन और सोयातेल है देखते है आगे क्या होता है !

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