पिछले दिनों वायदा के बारे में प्रकाशित मेरे लेख को ब्लाग पर डाल दिया है !ग्वार की तेजी मंदी के बारे में अपने विचारों को रोके रखा लिखा नही ये ठीक ही रहा !मेरा मन ग्वार की फसल और डिमांड की तरफ ही ज्यादा रहा और उससे तेजी नही बन रही थी पर गत समय की तेजड़ियों और उनके विपरीत लोगो की कसरत देखे तो दोनों और से आरोप प्रत्यारोप मिडिया में लगे की फसल पर नियन्त्रण करने के प्रयास में बड़ी कम्पनिया लग गई है जाहिर है राजनेतिक जोर आजमेईस भी हुई, मार्जिन भी लगा ,भाव भी बढ़े ,लगातार भाव तेज भी हो रहे है ,फसल पर भी कब्जा हुआ है ,इन सब बातो के बाद क्या महत्व रह गया है किसी विश्लेसन का ? पुराणी बात याद आगई (करो बेटा फाटका ना घर का रहे ना घाट का )धोबी के कुते वाली बात हो गई !आगे बाजार देख रहे है ऊंट किस करवट बेठेगा !
1 टिप्पणी:
अहिंसक आहार पर आपके समर्थन की आवश्यकता है।
आभार!
निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक
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